आगम युग का जैन दर्शन | Aagam yug Ka Jain Darshan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
382
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७
[१] प्रमेयनिरूपण
.१-- तत्त्व, अथं, पदां, तत्त्वाथं
२--सत् का स्वरूप
३--द्रव्य, पर्याय गौर गुण का लक्षण
४-- गुणं गौर पर्याय से द्रन्य वियुक्त नहीं
भ--कालद्रन्य
६--पुद्गलद्रव्य
७--इन्द्रियनिरूपर.
८--अमूतं द्रव्यो की एकत्रावगाहना
[२] प्रमाणनिरूपण
१- पंच ज्ञान ओौर प्रमाणो का समन्वय
२--प्रत्यक्ष-परोक्ष
३--प्रभाणसंख्यान्तर का विचार
४-- प्रमाण का लक्षण
५--ज्षानों का स्वभाव और व्यापार
६--मति-श्रुतिका विवेक
७--मतिज्ञान के भेद
८--अवग्रहादि के लक्षण और पर्याय
[३] चयनिरुषण
प्रास्ताविक
१--नयसंख्या
२--नयों के लक्षण
३-- नूतन चिन्तन
\ (च) घ्ाचायं कुल्दङुल्द फी संनवशन फो देन
प्रास्ताविक `
[१] प्रभेषनिरूपण
१--तत्त्व, अर्थ, पदार्थ और तत्त्वाथे
२--अनेकान्तवाद
ই- द्रव्य का स्वरूप
४-- सत् द्रव्य = सत्ता
५--द्रन्य, गुण ओर पर्यायं का सम्बन्ध
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