दोहावली | Dohavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
78
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोस्वामी तुलसीदास - Gosvami Tulaseedas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(187).
' जाने को जान । तुलसी यह सुनि समझे हिय आ-
निषे धतुबान ॥ ६८ ॥ करमठ कठमलिया कहे जानी
नान विहीन । तरसं निप विहायगो सम इभरि
, दमन् ॥ ६९ ॥ নানক एव के सये सपक भये न
कोई । तुलसी- शंम शपारूते भरी होय सो हीय ॥
-१०० ॥ शंकर प्रिय ममद्रोही शिव दोही मम दास।
` ते नर करहि कल्पभरि घोर नरक मई बास ॥ १०९॥
बिलग २ सुख संग इख जियन परण सोह रीति।
' হই ते रखे राभके गये ते उचित अनीति ॥ १०२ ॥
। . जाय कवं करतृति.विनरु जाय योग बितुक्षम । ठु
लसी जाई उपाय सवे. बिना शमपद् प्रम ॥ १०१॥
गर्भगतु सवयोगद्ी योग जाय बिनुक्षेम । तयों तृ-
“ लसी के माव गतु रामपेम विसु नेम ॥ १०९ ॥ इम
:: निकारं सवरी है सवहीको नीक । जो यह सवी है
, सदा तो नीको तुलसीक ॥ १०५॥ तुलसी ग़म जो
आदंगे खोये खरे खरो३-।.दीपक' काजर शिं
User Reviews
No Reviews | Add Yours...