शूद्र कौन ? | Shudra Kaun
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.03 MB
कुल पष्ठ :
161
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
एन आर सागर - N. R. Sagar
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डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर - Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)य मद्न 'चातुर्वर्ण्य की उत्पत्ति सुजनकर्ता से किस प्रकार हुई' के अतिरिक्त कुछ अन्य
नहीं बताते | शाब्दिक अर्थ भले ही विश्व-उत्पत्ति सान सिया जाये, लेकिन सचाई
कुछ और ही है। भारतीय आर्य इसे एक कवि की आदर्श कल्पना मात्र मानते ये,
यह स्वीकार कर लेना भी भयकर भूल होगी | इसके विपरीत, वे सृजनकर्ता के
आदेश-निर्देश के रूप मे पुरुष सूकत में व्यक्त चार्तुवर्ण की व्यवस्था को सामाजिक
आधार मानते थे | इन मंत्रों की रघना मे प्रयुक्त भाषा न्याय संगत नहीं है। यह सत्य
है कि मत्र-रचना की यह परम्परा है | फिर भी, यह कहना फठिन है कि पुरुष सूक्त
का रचयिता अपनी भाषा के आशय-अर्थ से अनसिज्ञ था। मत्र 314 और 12
ससार-उत्पत्ति का वर्णन मात्र नहीं है| वे समाज को विशेष विधान (चातुवण की
व्यवस्था) का ईश्वरीय आदेश है |
पुरुष सूक्त द्वारा स्वीकृत विधान ही चातुर्वर्ण्यीय व्यवस्था है । यह ईश्वरीय
आदंश ही भारतीय आर्य समाज का आदर्श माना गया ! इसी आदर्श व्यवस्था ने
समस्त भारतीय आर्य जाति को एक विशेष साँचे में ढाल दिया ।
मारतीय आर्य समाज द्वारा सम्मानित चतुर्वणे का व्यवस्था प्रश्न से तो परे
हे ही वर्णन से भी दूर की चीज है। इसका समाज पर गहरा प्रभाव रहा है ! पुरुष
सूक्त द्वारा प्रतिपादित व्यवस्था पर भगवान बुद्ध से पहले किसी ने आवाज तक नहीं
उठाई | बुद्ध पूरी तरह सफल न हो पाये | इसका कारण यह था कि बुद्ध के समय
म और बौद्ध धर्म के पतन के उपरान्त अनेक शास्त्रकारों ने न केवल पुरुष सूक्त
के सिद्धान्तो की रक्षा को अपना व्यवसाय बना रखा था, वे उसका प्रचार-प्रसार भी
करते थे |
पुरुष सूक्त के समर्थन-प्रसार की बानगी आपस्तम्ब धर्मसूत्र और वशिष्ट
धर्मसूत्र में देखिये । आपस्तम्ब धर्मसूत्र कहता है -
“जात्तियाँ चार हैं । ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र
इन चाशे में प्रत्येक पहली जाति क्रमश बाद की सभी जातियों से उच्च
है
शूद्रो और पतितो को छोड़कर सभी को उपनयन, वेदाध्ययन तथा यज्ञ
(बलि) का अधिकार है |”
चशिष्ठ सूत्र मे इसे दोहराते हुए कहा गया है-
क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चार वर्ण हैं ।
ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ह्विज है। उनका प्रथम जन्म माँ की योनि से होता
है | और दूसरा उपनयन से होता है। इस (दूसरे जनम) मे सावित्री माँ और शिक्षक
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I.T
at 2020-04-04 07:10:30