जाति विच्छेद | Jati Vichhed

Jati Vichhed by डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर - Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थ में सुके पाँच घः राहें निरम्तर डागना पढ़ा था यद्दां पहुँच र मुनदे सालुम डा कि ब्यप अमृतसर आए थे। यदि मैं स्वस्थ दोता हो मैं चदीं झापसे मिलता | मैंने घापका “झधिमापणा अनुवाद के लिये थी० मन्तगम को दें दिया है। रस्होने इसे बहुत पसंद किया ऐ। परन्तु वे निश्चय-प्रयेक महीं कह सकते कि ४ तारीस से पदले घुपने के लिए इसका भापान्तर हो सफेगा जो भी दो, इसका सच प्रचार किया जापगा। हमें निश्चय है, यह हिस्दुश्ों को उनफी पोर निद्रा से जगाने का काम करेंगा। घंयई में श्राप के झधिमापण के जिस 'ंरा की आर मैं ने संकेत किया था, इस पर धमारे कई मित्रों को थोढ़ा संदेद दो रददा है । दम में से जो इस थात के इच्छुक ऐं कि यद सम्मेलन निर्विप्न समाप्त दो वे चाइते हैं कि फम से कम इस समय के लिए विद” शब्द उस में से निकाल दिया ज्ञाये। मैं यद्द थात आपके बिधेक पर छोड़ता हूँ। परन्तु मैं झाशा करता हूँ कि शाप 'अझपने उपसंद्वार में यदद थात यद्द थात स्पष्ट कर देंगे कि प्षिमापणुर में मकेट किए गये दिधार पके निजी हैं, इनका दायित्व मरदल पर नहीं । आरा है, शाप मेरे इन शब्दोको घुरा नहीं मानेंगे और “'अझधिमापण” की १००० प्रतियां हमें सेज देंगे। इन महियों का मूल्य अप थो दे दिया ज्ञायगा। इसो मात का एक तार मैंने झान माप को मेजा है। सौ रुपए का एक चेक चिट्ठी के साथ भेज रहा हूँ । पहुंच लिखने की कृपा कीजिए । अपने यिल भी यथा समय सेजिए |




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