काव्य निर्णय | Kavya Nirnay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
727
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९४ )
का इतिहास! में,' डा० रसाल ने अपने “हिंदी साहित्य के इतिहास! में,
किया है* | खोजरिपोट में कद्दा गया है कि “इस प्रथ के कत्त कवि मिखारी-
दास कायस्थ हैं3 | ये काशिराज उदितनारायणु सिंह के आश्रित थे'*****
इत्यादि 1” उक्त ग्रथ जिसकी प्र०सं० ५ है, हमने भी काशिराज के सरस्वती-
भंडार में देखा है। अरउु, पस्तक के अंत में एक सोरठा दिया गया है, जो इस
प्रकार है :
“सुकवि भिखारीदास, कियौ प्रथ छुंदारनो ।
জিন छुंदन-परकास, भों मद्दाराज-पसंद द्वित ॥””
হব যার होता है कि यह ग्रथ भिखारीदासजी केग्रथ 'छुंदाणव”
(पिंगल) पर किन्ही अन्य कवि-द्वारा रचित प्रकाश है---टीका है, जो भिखारीदास
जी की मृस््यु के बाद लिखी गयी है।
बाग-बहार का आप-कृत कथन केवल शिवसिंह ने ही अपने सरोज” (9०
४११) में किया है, अन्य किसी ने नहीं, अतः यह संदेहात्मक रचना है। फिर
भी किन्हीं महानुभाव का कहना है कि वाग-बहार मिखारीदास कत श्रमरकोश
(संस्कृत) के अनुवाद “নাল-সন্কাহা” না “अमर-प्रकाश” का ही दूसरा नाम है।
राग-निणंय के प्रति इतना-ही कहा जा सकता है, कि यह दासजी-कृत कृति
अल्प (खंडित) रूप में **'- ग्राम साहीपुर नीलखा, पो० हड़िया, जिला प्रयाग
से मिली है, जिसकी पत्र सं०-१८, तथा छंद सं०--१७५ है ।४ विषय, पुस्तक
के नाम से स्पष्ट है। नाम-साम्य भी है, जैसे--“काव्य-निणय, शृ'गार-निणय
ओर राग-निर्णय |” भाषा भी मजी हुई साफसुथरी ओ्रोर सानुप्रास दास जैसी
है। एक उदाहरण, जैसे:-
राग-काफी |
“दरी गरव गेली हो, तन-जोश्षन गरव न कीजै ।
जैसे कुसु भ-रंग चटकीलों, छुलक-छुलक छिन छीजे ॥
ज्यों तस्बर की छाँद मध्य दिन, तैसं हीं गुनि जीजै।
कहत दासः पिय के मिक्षवे बिन, कैस के जिय जीजे ॥”
फिर भी उक्त ग्रथ की जनत्र तक कोई दूसरी प्रति न मिले तन्न तक दास जी
वृत होने में संदेह ही है |
4. हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास, एू० ३८५ । २. हिंदी साहित्य
का इतिहास, ए० - ४५० । ३. ह° क्िि० हिं* प्र० का संजिप्त विवरण (श्याम
सुंदर दास) १०.१११ । ४. भ्रपर्यगिव खोज-रिपोरं ( १५०१६३६ से स*~
३६४६ ) गा०भ्र० स० काशी | |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...