स्वराज्य संस्कृति के संतरी | Swarajya Sanskriti Ke Santari
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)27 प्वा1-87108 एय]८ 1० 10612) के द्वारा । दादामाई की यह किताब
हमारा सवप्रथम राजनंत्तिक्. दस्तावेज था ।.
जब भारतीय काँग्रेस में नरमदल. और गरमद्रल' ऐसा भेद और भगड
शुरूहुआ तब एक दफे तरमदल ते दादामाई नवरोजी को कांग्रेस का
अध्यक्ष पद लेने के लिए ( तासरी दफे ) बुलाया ।. गरमदल ने तुरन्त
उनके सामने सिर भुकाया और उनका नेतृत्व मंजूर किया.। और दादा-
भाई नवरोजी ने भी समन्वयवृत्ति घारण करके अपने ,अध्यक्षीय माषण
में जाहिर किया कि स्वराज्य ही कांग्रेस का और भारत का राजनेतिक
आदर्श हो सकता है । . इस तरह दादाभाई नवरोज्ी ने कांग्रेस के मंच पर
से सवप्रथम स्वराज्य की घोषणा की । नामदार.गोखले, सर फिरोज़-
शाह महेता, दीनशा एदलरूजी-वाच्छा, लोकमान्य तिरक और.महात्मा
गाँधो सब तरह के भारत नेता दादाभाई .के प्रति पुज्यमाव रखते थे ।
मौर दादाभाई कं हृदय में समूचे भारत, की सेवा. के सिव्र दूसरा कुछ
था ही नहीं | : _
दादाभाई 'नवरोजी' जेसे मारत भक्त पृण्य-पुरुषों क्री तपस्या. के
फलस्वरूप -हम .भारत की स्वतन्त्रता. श्राप्त कर सके । और ्राज भारत
में जो मी एकता पायी जाती है वह भी दादाभाई. तवरोज़ी ज॑से उदार
हृदय के पितामहों की दीघंहष्टि और शुद्ध नीति के क्रारण हो है ।
उनका हार्दिक श्राद्ध, करना हमारे लिए स्वाभाविक, भरी है; और धुण्य .
कत्तव्यरूप.भी है ।, , हु
२०-६-६६ . *
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