जातक माला | Jatak Mala

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Jatak Mala  by सूर्यनारायण चौधरी -Suryanarayan Chaudhary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची १२ ब्राह्मग-जातक রি [ गुरु ने अपने शिष्यां के सदाचार की परीक्षा छा । उतने शिष्यों में एक जाद्मण बालक हो परीक्षोत्तीर्ण हुआ, उसने गुरु कौ दरिद्रता दूर करने के लिए भी चोरों को अधम श्रौर अनुचित समझा , ] १३ उन्मादयन्तां-जात्तक [ श्रत्यन्त स्पवती उन्मादयन्तो को देखकर बोधिसत्त्त शिबि गाज भी मोहित द्वो गये थे । किंतु चैन और धर्माभ्यास के कारण उनका मोह द््टा । ] ¶१४ सुप रग-जातक [ विकराल समुद्र में पहुचकर जहाज की अवस्था सद्ूटापन्न हो गई। यात्रियों ने जीने की आशा छोड दी। सुपारगने सत्य भीर अहिंसा के प्रभाव से सब की रक्षा की । ] १५ मत्स्य-जातक [ प्रीष्म ऋतु में सरोवर के सूखने से मछलियों पर विपत्ति आई । प्रधान मत्य ने अहिंसा और सत्य के प्रभाव से जल बरसाकर मछलियां को बचाया ; | १२ वतेका-पोतक जातक ४ [ जगल में दावाझि प्रज्वलित हुआ । एक नव जात दबेल वर्तेका- पोतक को छोडकर छोटे-बड़े सभी पक्षी उड़ गये । उस पक्षि शावक ने स व पूत वाणी के द्वारा अम्नि को शान्तर किया । ] 1७ कुम्भ जातक ४ [ राजा संमित्र अपनी प्रजा के साथ নত पान में आसक्त था। देवेन्द्र शक्त मदिरा से भरा हुआ घडा लेकर राज सभा के सम्मुग्व अन्तरिक्ष में भ्कट हुए और उन्दने मध-पान के दोष दिखाकर प्रजा सहित राजा को मद्रपान से विरत किया । ] ३८ अपुत्र-जातक ध [ माता पिता के मरने से बोधिसत्त को वैराग्य हो गया। वे पुत्र उत्पक्त किये बिना, नई॑ अवस्था में हो, घर छोडकर, प्रश्नजित हो गये। ] (৭২) १३० १३६ १५५० १६२ १६६ ¶७०




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