कठिनाइयों मेंन विद्याभास | Kathinayo Main Vidyabhas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गिरिधर शर्मा - Giridhar Sharma
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झालरापाटन - Jhalrapatan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गरीबी विद्याभ्यांसम बाधक नहीं । ७
न
निज
इस शौकको प्रा करनेके लिये वह एथेन्स. चखा गया | जिस -सम्रय वह
एथेन्समें पहुँचा, उसके पांस : केवल तीन सिक्के. (.चौंदीके ) थे | ऐसी
परिष्थितिंमें उसे. अपना पेट भरनेके- लिये पाती भरना, व्रोझा उठाना
आदि क्ुद्रसे शुद्र मजदूरीके काम करने.पड़े | ऐसे ऐसे काम करते
हुए भी वह अपना अभ्यास बढ़ाता जाता था और अपने सुप्रसिद्ध गुरु
झेनोकी एक एक पेनी रोज देता था। झेनोके मर जानेपर उसकी
पराटशाखका वह प्रधानाध्यापक्र हो गया; परन्तु इस पदके मिरु जाने प्रर
भी -वह .मजदूरी. -करता रहा यह उसका सुख्य सिद्धान्त था कि.“ भ
पाती भरता हूँ और .दूसरा जो कोई काम. मिल. जाता है उसे करता हूँ,
परन्तु इससे. में क्रिसीके सिरपर बोझा नहीं होकर अपने तक्तज्ञानका
अभ्यास बढ़ा. सकता हूँ | ” वह. बहुत .ही गंरीब था। उसके पास
'कोटके नीचे पहननेको एक भी वद्ध नहीं था | एक समय वह एक सावै-
जनिक़ मेलेमे गया । पहाँपर हवांके जोरसे. उसका कोट. फर फर कर
उड़ने छगा | इससे उसका .ख़ुछा बदन बहुतसे- मनुष्योंके देखनेमें आया ।
उन्हें. उसपर दया आई ओर -उन्होने ` उसे नीचे प्रहननेका एक वच
दिया | वहे इतना गरीव था, तो भी एयेन्सके मनुष्य सदा उसके साथ
सम्मानका बर्ताव करते थे] ..
प्रसिद्ध इटालियन लेखक जेलीः जातकां- दंरजी था [- इस -पुरुषनें
छेखकके नामसे ऐसी प्रसिद्धि ' पाई ' वि ' यह - फ्लोरण्टांइन एकेंडेमीकीं
कोंसिलके उच्च और मानवे. पदपर नियुक्त कियां गयां- और - टस्कंनीकें
भरड उचृकने ईस प्रसिद्ध तत्ज्ञानी दांतेंके विषयमें. व्याख्यानदाता. मुकररें
किया | यह इतने ऊँचे दरजेपर पहुँच गया तो भी; अपना दरजीका काम
^ छता -था | -जवः ऊपर. कहे हए एकेडमी ( विदार्य.) के. बिद्ा-
धियेके. सामने इतेका प्रास्ताविक व्याख्यान हुआ, तव `इसने साभिमानं
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