हमारा संविधान | Hamara Samvidhan

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Hamara Samvidhan by राजेन्द्र प्रसाद - Rajendra Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह विचार है कि धर्म॑निरपेक्ष राज्य का काम केवल मनुष्य और मनुष्य के सम्वन्धों को नियन्त्रित करना है, मनुष्य और के सम्बन्धों को नहीं । राज्य झन्य मनुष्यों के ही साथ किसी व्यिति के व्यवहार का नियन्त्रण करेगा । संघीय ढांचा भारतीय संविधान का ढांचा संघीय है । इसके दो क्षेत्र हैं--संघ और उसके अंगीभूत एकक (इकाइयां) राज्य । दोनों के अधिकार क्षेत्रों का उल्लेख संविधान में स्पष्टतापुर्वक कर दिया गया है । एक स्वतन्त्र न्याय- पालिका (जुडिशिय्नरी) की व्यवस्था है, जो संविधान की व्याख्या और केन्द्र तथा राज्यों के वीच उठने वाले विवादों का निर्णय करेगी । परन्तु अमेरिका के समान यह “फेडरल” संघ नहीं हैं, जिसमें एककों की स्व- तन्त्रता और पृथकतता का ध्यान रखा गया है । भारतीय संविधान श्रवशिष्ट अधिकार (रेजिड्यरी श्रथारिटी) केन्द्र में निहित करता है, जो विषय समवर्ती (कानकरेन्ट) अथवा राज्य सूचियों में परिगणित नहीं किये गये थे, वे सब संघ सूची में समाविप्ट माने जायेंगे । यह संघ को पर्याप्त परिमाण में यह दाक्ति भी देता हैं. कि वह सब महत्वपूर्ण कार्यो को स्वर एक सी योजना के श्रनुसार करावे । एक न्यायपालिका (जुडिशिश्नरी), मौलिक विधियों (आधारभूत कानूनों) की एकता, अखिल भारतीय नौकरियों की सामान्यता और एक सामान्य भाषा द्वारा सासन में एकता स्थापित करने का यत्न किया गया हैं । परन्तु भारतीय संघ लचकदार है । श्रापात्त (संकटकालीन ) अवस्था में केन्द्र, राज्यों का प्राधिकार (अथारिटी) अपने हाथ में ले सकता है । इसका लचीलापन किमी भी अच्छे संविवान को लचीला, परिस्थितियों के अनुसार




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