सूर साहित्य विमर्श | Soor Sahitya Vimarsh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Soor Sahitya Vimarsh by दशरथ राज - Dashrath Raj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दशरथ राज - Dashrath Raj

Add Infomation AboutDashrath Raj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
द्वितीय अध्याय सुरदास का जीवन वृत्त जन्म-स्थान---सूरदास का जन्म सीदी नामक ग्राममे हुमा जो दिल्ली स्से चार कोस ब्रज की ओर स्थित है 1“ हरिरायजी कै इसी कथन की पुष्टि उनके पूवंज गोसाईं विद्रुलनाथजी एव गोकूलनाथजी के .समकालीन प्राणनाथ कवि के निम्नलिखित कथन से न्मी होती ই श्रीवल्लभ प्रभु लाडिले, सीही सर जल-जात । सारसुती-दृज तर सफल, सूर भगत विख्यात 1} २ आचायं पंडित रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास के सवत्‌ १६९० कै सस्करण मे पृष्ठ १५५ पर सूर का जन्म-स्थान रुनकता लिखा था । उन्होने अपने इतिहास के स० १६६७ के नये संस्करण भे सूरदास के -जन्म-स्थान कां कोई उल्लेख न ही किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हे भी सूर के स्नकता मे जन्म होने की वात मे सन्देह था । आचार्य श्यामसृन्दरदास ने भी सूर का जन्म-स्थान सनकता वत्ताया है {३ १ “सो सूरदास जी दिल्ली पास चार कोस उरे मे सीही गाँम है, जहाँ राजा परीक्ष त के वेटा जन्मेजय ने सर्प यज्ञ कियो है, सो ता गाँस मे एक सारस्वत ब्राह्मण के यहाँ प्रगटे ।” (सूरदास की वार्ता : हरिरायक्ृत, पृष्ठ १-२ ।) २. सूर निर्णय: प्रभुदयाल मीतल एवं दारकादास पारिख, पृष्ठ ५० पर अष्ट सखामृत से उद्ध त्त। ३ हिन्दी भाषा और साहित्य : वाबू श्यामसुन्दरदास, पृष्ठ ३२२ । &




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now