भारत पर अमरीकी फंदा | Bhaarata Par Amariikii Phanda

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhaarata Par Amariikii Phnda by एल० नटराजन -L. Natrajan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about एल० नटराजन -L. Natrajan

Add Infomation AboutL. Natrajan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भूमिका “ दक्षिणी एशिया आज एशिया का राजनीतिक दृष्टि से सबसे दृढ़ भाग है। इसमें ऐसे देश शामिल हैं जिनका दृष्टिकोण पश्चिम की ओर झुका हुआ है, जो आम तौर पर पश्चिम से सहयोग करते हैं, जो कम्युनिज्म की अन्दरनी समस्याओ से परिचित हैं, और जो आक्रमण से अपनी रका करने का दढ निद्वय रखते हैं। ... “ इस भाग में ४५ करोड़ लोग रहते हैं जो दुनिया की कुछ आबादी का पांचवां हिस्सा और आजाद दुनिया की आबादी का तिहाई हिस्सा होते हैं ।... “ अगर कभी ये लोग हमसे अरूग होकर कम्युनिज्म के साथ चे गये, यदि ये लोग भी उन ८० करोड़ छोगों के साथ मिल हो गये जो आज कम्युनिज्म के नियंत्रण में हैं, तो दुनिया की ज्यादातर आबादी कम्युनिज्म के नीचे चली जायगी।... “ इस इलाके के अलग-अलग देशों को लिया जाय, तो जाहिर है कि क्षेत्रफल ओर आबादी दोनों ॐ दृष्टि से, इनमें सबसे बड़ा भारत है। भारत में ३५ करोड़ लोग रहते हैं। यह भाज़्ाद दुनिया के सब से बड़े देशों में से है ।...दोनों ही दृष्टि से---आबादी और खनिज पदार्थों तथा दूसरे भौतिक साधनों की दृष्टि से--भारत का पश्चिमी संसार के लिये अत्यधिक महत्व है । ” -न्‍जौजे सी, मघी, सहायक विदेश-मंत्री, अमरीकी प्रतिनिधि सभा की विदेश विभाग समिति के सामने बोलते हुए; . २४ जुलाई, १५५१ | “८ एशिया की कुंजी अब भारत में है। यदि भारत हमारे हाथ से जाता रहा, तो सारा एशिया जाता रहेगा। फिर छोटे देशों में बचने की सामथ्य न रहेगी ।...




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now