श्री जवाहर किरणावली [भाग 3] | Shri Jawahar Kirnawali [Bhag 3]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन्त करण वासना की कालिमा से इतना मलीन हो गया है कि परमात्मा का
मन-मोहन रूप उस पर पतिविम्बित नही हो सकता।
यद्यपि मुझमे वह उत्कृष्ट योगशक्ति नही है कि मै आपका ध्यान
सत्तार की ओर से हटाकर ईश्वर मे लगा दू, लेकिन बडे-बडे सिद्ध-महात्माओ
ने शास्त्रो मे जो कुछ कहा है, मुझे उसमे बहुत-कुछ शक्ति दिखाई देती हे
ओर इसी कारण वही वात भे आपको सुनाता हू। आप उन महात्माओ के
अनुमवपूर्ण कथन की ओर ध्यान लगाइये । फिर सम्भव है कि आपका ध्यान
ससार की ओर से हटकर परमात्मा की ओर लग जाए ।
मनुष्य सृष्टि का वादशाह है । फारसी भाषा की एक कहावत मे
बतलाया गया है कि मनुष्य सव जीवो का वादशाह है ! इस कहावत कं
अनुसार मनुष्य सव प्राणियो का राजा हे ओर सब प्राणी उससे छोटे हैँ । जब
मनुष्य का इतना अधिक महत्व है, मनुष्य का पद इतना ऊचा है तो आपको
पिचारना चाहिए कि हमारा कर्तव्य क्या होना चाहिए? जो सबसे बडा गिना
जाता रै वह किसी-न-किसी अच्छे कर्तव्य से ही। मनुष्योमे ही देखो |
मप्यो मे कोर जज होता दै, जिसका दर्जा ऊचा गिना जाता है । सभी मनुष्य
जज नही सोते! वया वदिया कपडे ओर वदिया आभूषण पहनने से कोई जज
दने जाता है? नही । जिसके दिमाग मे इसाफ करने की ताकत है, जो दूध को
दप ओर पानी को पानी सिद कर दिखा देता दै, इस शक्ति के कारण जो
अपराधी को कारागार मे भेज सकता है या अभियोग से मुक्त कर सकता है,
फासी को सजा दे सकता है या कारागार से छुडा सकता दै, वह जज
पर जाता ६। एस प्रकार न्याय करने के लिए ही जज होता है।
मतलद यह है कि जज जनता का कल्याण करता है. जनता को
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