महादेवी वर्मा और पथ के साथी | Mahadevi Verma Aur Path Ke Sathi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)_महादेवी वर्मा भौर पथ के साथी মম
कहानी में गतिशीलता अधिक होती है जब कि रेखाचिन्रों में
स्थिरता रहूती है! श्री तिवारी जी के मत से “कहानी गयात्मक होती
है रेखाबचित्र स्थिर ।” इसके अतिरिक्त “कहानी में रेखाचित्र से एक
पहलू अधिक होता है । यदि रेखाचित्र में एक पहलू होता है तो कहानी
में दो, अगर रेखाचिन्न में दो मानिए तो कहानी में तीन । भर्थात् यदि
रेखाचित्र में सिर्फ लम्बाई ही है तो कहानी में लम्बाई के भ्रतिरिक्त
चौड़ाई भी होती है और भ्रगर रेखाचित्र में लम्बाई तथा चौड़ाई है तो
कहानी में मोटाई तथा गोलाई भी माननी पड़ेगी > > > >
रेखाचित्र भ्रपनी स्थिरता में कुछ गतिहीन हो जाता है, वह शेष से कट
कर अपने आप में कुछ स्वतन्त्र हो जाता है, इसलिए उसमें रस और
तीब्रता की कमी होती है । वह कुछ सैक्यूलर होता है ।” ---जैनेन्द्र--
रेखाचित्रों की भ्रपेक्षा कहानी में सामाजिकता अधिक रहती है ।
रेखाचित्रों में जहाँ एक व्यक्ति की तस्वीर सामने श्राती है, वहाँ कहानी
व्यक्ति को समाज के संसगं में अंकित करती है ।
डा० नगेन्द्र कहानी श्रौर रेखाचित्र शरीरगत श्रन्तर ही मानते है
प्राणगत नही, “सामान्यतः कहानी श्रौर रेखाचिध्र एक् दूसरे के इतने
निकट है कि दोनों में अ्रन्तर शरीर गत है प्राणगत नहीं ।”
रेखाचित्र तथा निबन्ध
कंध विद्वानों ने रेखाचित्र को निनन्ब केही ब्रन्तर्गेत स्वीकार
कियादहै। स्थूल दृष्टि से अवलोकन करने पर इन दोनों विधा््रोँमे भी
समानता दृष्टिगत होती है । लेखक के व्यक्तित्व की छाप एक सफल
निबन्ध की मख्य विशेषता है ्रौर रेखाचित्र मेँ मी ऐसा होता है, प्रत:
दोनों में कोई अन्तर दृष्टिगत नहीं होता परन्तु दोनों के अभिव्यक्त करने
का छद्भ अलग है। श्रपनी भ्रनुभूतियौ को निबन्धकार वर्णन शैली से
अभिव्यक्त करता है, परन्तु रेखाचित्न-कार को यह स्वतन्त्रता नहीं है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...