श्री श्री महाभारत | Shree Shree Mahabharat
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47 MB
कुल पष्ठ :
1156
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आदिपर्व्य । । । १९ `.
बहुत दिना तब बौतिभे, विधि परपच्च उपांड।
धोमर एक अखेटकहं, मचक्छिहेत् तहं जाद् ॥ `
ओंहो सबच्छि: जालमहं परो। दौरष मच्छि देखि सुख करौ ॥ `
दासाराप्र तहकर राऊ। धौमर सङ्क ले गये तिहि ठाऊ ॥
राजा मच्छि देखि विस्तारा । तब सच्छौोकर उदर विदारा ॥
तामनु उदर जो हैखि शुवारा । कन्या एक अस् एक ङुसारा ॥
राजहि सन भो हषं अपारा । वोच्यड बचन समय अनसारा ॥
भच्छदैश पत्ति राजा सों! निश्चय राजा লালন होड ॥
कन्या व्वयप केवटकोी दीन्हा । सच्छोदसे नाम व्याडि कौन्हा ॥
बहुत कहे केवट्सों राऊ। केवट पालत कन्या भाऊ ॥
सात दक्ैकौो कन्या यय । नदौसाहिं सो कन्या गय ॥ -
केवट च्छा तनसो गह । नाव घाटमें कन्या रहो॥ -
यहि प्रकारते राजा, सुनो और विस्तार ।
त्यहि सारग पाराशर, आयो जो पगु धार॥.
नदीघाठ,. पाराशर जाई। मच्छीदरिको देख्यय आई॥
कन्या देखि सोहि मुनि गयऊ। कामातुर पाराशरं कहेऊ ॥
'लघ्न देखि ऐसा सुनि ताही। जच्य हि एत्र सो परिडित आहो ॥
कंन्यापाहि कहा सुनि वाता। सरिताघाट काम संख्याता॥
कोम जुः अनौ पञ्डशर मारा । दस्रौ सानहु वचन हसारा ॥
रतिदानहि दै. हमको नारौ । सुनि .कन्या लजा भद मारौ
कन्या कहां बाल तन मोरा । जानं. काह कामगति तोया ॥
=
5 द्वकम, स
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