कार्ल मार्क्स | Karl Marx
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.55 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)युरनिवरसिटी-जीवन (१८३५-४१ ई०३ छः
विगकी -लडकी जेनी थी, जो सालुजवेडेलमें १२ फरवरी १८२४ ई० को--अर्थात्
कार्स माक्स के जन्मसे चार साल पहले पैदा हुई थी । उस समय जेनीका पिता
सालुजवेडलमें लॉडसट [मजिस्ट्रेट, शरीफ] था । दो वर्व बाद वहाँसे उसकी बदली
ट्रीरमे हों गई, और अब वह सरकारका परामर्शदाता था ।
राइसलेंड॑ जर्मनीके दूसरे भागोसे भिन्सता रखता था । वह सामन्तोका नहीं
उद्योगपतियोका प्रदेश बनता जा रहा था । वह जर्मनीके चिरफ़्तिद्वद्ठीं फ्रांसकी
सीमापर पढ़ता था, इसलिये वहाँ असाधारण योग्यतावाले ही आदमीकों शासक
बनाकर भेजा जाता था । प्रशियाके महामली . हार्डननेगकी इसीलिये लुडविंग
फानवेस्टफालेनपर खास तौरसे नजर पडी । लुडविग साधारण सामन्तोसे (कतता
विलक्षण था, यह इसीसे सालूम होगा कि कार्ल माक््स' जीवनके अन्त तक अपने
ससुरका नाम बडे सम्मान आर कुत्तज्ञतपूर्वक लिया करते थे, और लिखते वक्त
उसे प्रिय पितृतुल्य मिल करके सम्बोधित करते थे । लुडविंग सुशिक्षित था; वह
होमरकी कविताओके पृष्ठके पृष्ठ दोहरा सकता था, शेक्सपियरके बहुत्तते नाटक
उसे कठस्थ थे--मंग्रेजी मौर जर्मन दोनोंमे । लुडविगके घरमें विद्या और साहित्यका
बडा ही सुन्दर वातावरण था । उसके पास पुस्तकोका अच्छा संग्रह था । कार्ल
जेसे प्रतिभाशाली तरुणकी जिज्ञासाओंकी पूतिके लिये वह साधन-सम्पन्त था । ऐसी
अवस्थाम यदि बचपनसे हो कार्ल माक्संका लगाव वेस्टफालेन पःरवारसे हो जाय,
तो कोई आश्चर्य नहीं । लुडविंग इस मेघावी बच्चेकों बहुत प्यार करता था । उसकी
पुलो जेनी और कार्ल बचपनसेही साथ खेला करते थे । उन्हें पता नहीं लगा कि कब
जचपनका वह स्नेह दो तरुण-हुदयों के प्रेमसे परिवर्तित हो गया । जेनी एक असाधारण
सुन्दरी लड़की थी, लेकिन उसका स्वभाव दूसरी सामस्त-कुमारियोंसे बिल्कुल अलग
था । उसके चाहनेवाले बहुतसे थे । वह अपने पिताके कुल और दर्जेके प्रभावसे किसी
धनी और प्रभावशाली सामन्त-कुमारसे ब्याह करके सुख और विलासका जीवन
बिताती' । जेनीने यदि अपने ऐसे बालपनके साथीके साथ अपने जीवनकीा गरुबघन
किया, जिसका भविष्य “खतरेसे भरा और अनिश्चित' (माकसके पिताके शब्दोमे)
था, तो इसे यहीं कहना चाहिये कि जेनी बिल्कुल दूसरी ही तरहकी लडकी थी 1
मार्क्सका पिता उसके लिये “दिजकर्या जादूगरनी” जैसे शब्द इस्तेमाल करता था
भौर साथ ही वह उसके. प्रेमको इतना पक्का समझता था कि कोई राजकुमार भी
ससे कार्ल से छीन नहीं सकता था । पिठाने माक्सेके जीवसकों जिस तरहेका खतरेसे
भरा और अनिश्वित समझा था, वह उसके सामने कुछ भी सही था, जंसा कि
जेनीकों भुगसना पडा । लेकिन जेनीको इस अदुभ्ुत पुरुषकां अखड प्रेम मिला था,
जिसे वह बहुमूल्य समझती थी । सावर्स-जेनीके बाल्य-प्रेम और उसके परिवारको
पेंतालीस बर्ष [ १८६३ ई० ) की उमरमे अत्यन्त मधुर शब्दोमें याद करतां था । वह
उस साल अपनी माँकी अन्त्येष्टिके लिये ट्रीर गया था, जबकि. लिखा था < प्रतिदिन मैं
युशाने चेस्टफालिन भवन ( रोमेर स्ट्रास ) की तीर्थ-याला करने जाता था 1 वह सारे
रोमन ध्वंसावशेषोंसे भी अधिक मेरे लिये मनोहर मालूम होता था, क्योंकि वह मुझे
अपनी तरुणाईके सुखमथ दिदोकी याद दिलाता था और इसीने मेरी निधिको एक
समय अपने भीतर सुरक्षित रक््खां था । प्रतिदिन दाहिने-बायेसे सुशसे लोग ट्रीरकी
अत्यन्त सुन्दरी लडकी, 'नृत्यकी रानी' के बारेमें पूछते थे । एक आदमीके लिये
यह अत्यन्त प्रसन्नताकी बात है कि उसकी पत्नों शारे नगरकी स्मृतिमें “जादूगर
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