भारत की संस्कृति साधना | Bharat Ki Sanskriti Sadhana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
452
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अवतरणिका 3
सौप्ठव और सोन्दर्य की अभिव्यज्जनातरों को चित्र, मूर्ति, वास्तु और काव्य आदि
के माध्यम से प्रत्तिप्ठा प्रदान करते हैं । प्रायः प्राकृतिक संविधानों के अनरूप ही
ও
भारत की सांस्क्रतिक, सामाजिक और राजनीतिक एकता का प्रादुर्भाव हुआ ।
राजनीतिक परिस्थितियाँ 7
किसी देश के सांस्कृतिक विकास पर राजनीतिक परिस्थितियों का प्रभाव
पठता = न भारत व লে ना जा লহক্ষলি का स तं था = ~> दाप्ज्लोए न
सं ह । प्राचनि नार म राजा सस्क्ात का सरक्षक हूति वा । भारताय दुाष्टकाण
यथा चाजा तथा प्रजा अर्थात् राजा के गुणों का आादर्ज प्रजा में प्रतिष्ठित होता
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1 राष्ट्रीय सनन््क्ृति के प्रति राजा की अभिरुत्ति हान पर अनायास हा सास्कृतिक
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विजयिनी वन कर अन्य संल्क्ृतियों के उत्क्ृष्द गूणों को आझात्मसात् करके परियु
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बन जाता हूं। भाराय च्राय-नन्क्रात के लए समय-समय पर एसा एत्तहूयान्नक
परिस्वितियां उपादेय सिद्ध हुई हैं ।
महापुरुषों की देन
अपने विचारों. कृतियों और सन्देशों के द्वारा सांस्कृतिक वारा को अनि
ডি লীনা = सांस्क्रतिक विकास --- ~ = प्रदत्त ~ देना महा:
ना और लोगों को सांस्कृतिक विकास को ओर प्रव॒ृत्त कर देना महा-
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এ. होता
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पुरुषों की महत्वएूण देन होती है| सांस्छातक इंतहात् से प्रतात হীন है कि यदि
>~ परप न हमा होता तो देश की संस्कृति आज जहाँ है, वहाँ
कोई एक विशिष्ट पुरुष न हुत्ना होता ता देश का सस्कछांद आाज जहां हूं, वहा
=
जे ক
में बहत पीछे होती । आधुनिक यंग के लिए महामानव गावी की देन इसी प्रकार की
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৪১
सांस्कृतिक अभ्युत्यान
है। कभी-कभी असंख्य महापुरुषों की युग-चेतना भी इसी प्रकार सांस्क
में योग देती है। असंल्य मह॒पियों की तप:सावना और चिन्तन के फलस्वरूप उप-
निपदों का प्र णएयन हुआ । इन उपनिपदों का भारतौ संस्छ॒ति के विकास के लिए
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