भारत की संस्कृति साधना | Bharat Ki Sanskriti Sadhana

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Bharat Ki Sanskriti Sadhana by रामजी उपाध्याय - Ramji Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अवतरणिका 3 सौप्ठव और सोन्दर्य की अभिव्यज्जनातरों को चित्र, मूर्ति, वास्तु और काव्य आदि के माध्यम से प्रत्तिप्ठा प्रदान करते हैं । प्रायः प्राकृतिक संविधानों के अनरूप ही ও भारत की सांस्क्रतिक, सामाजिक और राजनीतिक एकता का प्रादुर्भाव हुआ । राजनीतिक परिस्थितियाँ 7 किसी देश के सांस्कृतिक विकास पर राजनीतिक परिस्थितियों का प्रभाव पठता = न भारत व লে ना जा লহক্ষলি का स तं था = ~> दाप्ज्लोए न सं ह । प्राचनि नार म राजा सस्क्ात का सरक्षक हूति वा । भारताय दुाष्टकाण यथा चाजा तथा प्रजा अर्थात्‌ राजा के गुणों का आादर्ज प्रजा में प्रतिष्ठित होता হালেোন ---~~ > राजा ~ श्रि হলি च लानं पर अनायास ~ सांस्क्रतिक ~ => 1 राष्ट्रीय सनन्‍्क्ृति के प्रति राजा की अभिरुत्ति हान पर अनायास हा सास्कृतिक উহা; >, सीन हो अंधवा राप् --;-- শল্কলি का विरोधी ~> सर्ति ~ श्ण ~ ->- उदासानत হা সঙলা रष्टरचि नन्तरत्ति क वर्का ठा ता जत्क्रति कं लाज हूत म लगना भारत ০ ০০ = जाओ अजमक ~ राजनीतिक ~~ दर टू लगना | नागन कं नाल्नरन्क्र उात्हानत मे इस प्रकार का रार्जनोतिक रिस्थि न = कारण = विपमता न प्रत्यक्ष ~ = किसी म হাতে কা हो झान्ति परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुई विपमताय प्रत्यक्ष हा 6 | कसा भा राष्ट्र मं शान्त শি अहः सिः পি ৯২ টি টা হু रेखां ই ছিল্দাল च जद विद्येय कार ~ नि तिहासिक सस्क्ाव का हूप-रखा के 1ठन्याद मे कुछ হিল श्रक्ार का एांतहा।न्नक्त परिस्यिनियों क्रा भाव কনা = परिस्थितियां का प्रभाव पारलान्षत হালা রী ॐ इन ০ अधिक महत्त्वपूर्ण < = ना है। इनमें सबसे अधिक महत्त्वपूण है কি = >~ > विविध ~ -- या ৯ {र्न्परिक र अ्रयवां विदली जातियों ৯ कसा एक इय कं कितिच অল-নলনুহগানা কা দাহহলাহিক্ষ न्यक त्ववा [वदरा লাজ ८ 3 = य ৯৯ টি সত সস (তে का मिलन होता = आर प्राय: कलम... मे से सम्पर्क | एसा पाराच्यात म লক सक्कोतया का ।मलन हाता हू आर भाव: লালা संस्कतियाँ = টি ती है बववा उन सभी संस्क्रतियों में = ~~. नियो गणों को आत्मसात करके परिपृष्ट विजयिनी वन कर अन्य संल्क्ृतियों के उत्क्ृष्द गूणों को आझात्मसात्‌ करके परियु < 3, न्वे नन्ति ~> < ২ समय न= प्र (~ ऐतिहासिक < बन जाता हूं। भाराय च्राय-नन्क्रात के लए समय-समय पर एसा एत्तहूयान्नक परिस्वितियां उपादेय सिद्ध हुई हैं । महापुरुषों की देन अपने विचारों. कृतियों और सन्देशों के द्वारा सांस्कृतिक वारा को अनि ডি লীনা = सांस्क्रतिक विकास --- ~ = प्रदत्त ~ देना महा: ना और लोगों को सांस्कृतिक विकास को ओर प्रव॒ृत्त कर देना महा- | = 0 এ. होता दे पुरुषों की महत्वएूण देन होती है| सांस्छातक इंतहात् से प्रतात হীন है कि यदि >~ परप न हमा होता तो देश की संस्कृति आज जहाँ है, वहाँ कोई एक विशिष्ट पुरुष न हुत्ना होता ता देश का सस्कछांद आाज जहां हूं, वहा = जे ক में बहत पीछे होती । आधुनिक यंग के लिए महामानव गावी की देन इसी प्रकार की = ~ _-~ ৪১ सांस्कृतिक अभ्युत्यान है। कभी-कभी असंख्य महापुरुषों की युग-चेतना भी इसी प्रकार सांस्क में योग देती है। असंल्य मह॒पियों की तप:सावना और चिन्तन के फलस्वरूप उप- निपदों का प्र णएयन हुआ । इन उपनिपदों का भारतौ संस्छ॒ति के विकास के लिए




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