हिंदी पद्य - पीयूष | Hindi Padhya Peeyush

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारतेन्दु का जन्म बंगाल के इतिहास-प्रसिद्ध सेड अमीचन्द के बंश में हुआ था । सेठजी के दो पुत्र थे, जो काशी में आकर बसे थे | इनमें से एक फतहचन्द थे | इनके হী खा नाम हरचन्द्‌ था, जो अपनी धनराशि और उसके सद्व्यय के लिए विख्यात थे | इनके पुत्रे का लाय गोपालचन्द्र था | यह बड़े अच्छे कवि थे। इन्होंने हिन्दी में चालीस জজ बनाये । इन्हीं জানু गोपालचन्द्र के पुत्न बाबू हरिश्विन्द्र हुए । इनका जन्म भाद्रपद शुक्का सप्तमी ल० १९०७ में हुआ था | शी यह नो ही वर्ष के थे कि इनके पिता का स्वरगंवास हो गया । झारे घर कृए आश इन्हीं के ऊपर आ। पड़ा। पढ़ने का काम ज्यों-त्यों करके तीव चार बे तक चला, परम्तु जब थे अपनी माताजी के साथ सं० १९३१ में जगदीश-याज्र! को गये, तो पढ़ना बिककुल छूट गया } यान्ना से लौटने पर इनकी रचि कविता और देशभक्ति की ओर फिरी । इन्होंने एक छोटा-सा स्कूल आपने घर ही में खोला, जो बाद में हरिश्रिन्द्र हाई स्कूल! के नाम से विख्यात हुआ । इन्होंने कविवचनसुधा' नामक पाक्षिक पत्न भी निकाला ! इनकी कविता हिन्दी में एक नई अ्रगति-पताका को लेकर आई थी । इनकी कविता में उत्कृट देश-प्रेम और प्रगाह समाच-हितेषिता के भाव निहित हैं कवत्‌ १९४२ में आपने इस नश्वर संसार को छोड दिया ! ३५ कष की इस छोटी आयु में आपने १७५ अन्ध छिखे !




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