आधुनिक हिंदी साहित्य | Adhunik Hindi Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
385
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय - Dr. Lakshisagar Varshney
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ आधुनिक हिंन्दी साहित्य
हिन्दी साहित्य के प्राचीन और नवीन रूपों के बीच एक निश्चित विभाजन-
रेखा खींचना दुस्तर कायै है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि नवोनता और
आधुनिकता के विकास में पश्चिमी भीवों और विचारों का बहुत बड़ा हाथ रहा
है। वैसे तो अँगरेज़ों के आने से पहले ही देश में पश्चिमी प्रभाव दृष्टिगोंचर होने
लगा था, किन्तु भारत में ब्रिटिश साम्र/ज्य की स्थापना के बाद भारतीय जन
समुदाय--विशेषतः अगरेजी-शिक्षित उच्चवर्गौय जन-समुदाय---पर यह प्रभाव
और भी गहरा हो चला था | सामान्यतः १७५७ के प्लासी- युद्ध से अगरेजी राज्य
की स्थापना मानी जाती है। किन्तु हिन्दी प्रदेश पर अँगरेजों की इस विजय का
कोई विशेष प्रभाव न पड़ सका--केवल्ल उत्तरी भारत का द्वार उनके लिए श्वय
खुल गया। उस समय तो बंगाल के केन्द्र कल्कत्ते के सामाजिक, घार्मिक और
साहित्यिक जीवन में युगान्तकारी परिवर्तन हुए। १७६४ में बक्सर कौ लड़ाई हुई
और १७६५ में अँगरेज़ों को दीवानी मिली। इस प्रकार प्लासी के सात-आठ
वर्ष बाद हिन्दी प्रदेश का पूर्वी भाग अर्थात् बिहार सब प्रथम अगरेजों के अधिकार
में चला गया । यदि प्लासी-युद्ध के फलस्वरूप समस्त उत्तर भारत का द्वार अँग-
रेज़ों के लिए खुल गया था, तो बक्सर की लड़ाई के फलस्वरूप हिन्दी प्रदेश ३
तत्कालीन श्बसे अधिक सम्पन्न और शक्तिशाली सूबा अवध ने संधि द्वारा अँग-
: रैंज़ों के आगे माथा टेक दिया । यहीं से उन्होंने हिन्दी प्रदेश में चारों ओर अपने
राज्य की सीमा का विस्तार किया। तत्पश्रात् बनारस और श्य०३ की लास-
वाड़ी की लड़ाई के फलस्वरूप हिन्दी प्रदेश के मध्य भाग--दिलली और आगरे
के सूबे--पर उनका अधिकार हो गया । इससे मराठों और कफ्रांसीसियों की शक्ति
को जबरदस्त आधात पहुँचा । राजपूताने की रियासतों ने भी १८०८ तक अगरेडी
सत्ता स्वीकार कर ली थी | १८२६ में उन्होंने भरतपुर पर विजय प्राप्त की | केवल
अवध नाममात्र के लिए १८४६ तक नवार के दाथ मे रहा । इस प्रकार उन्नीसवीं
शताब्दी पूर्वाद्ध के लगभग मध्य तक अगरेज हिन्दी प्रदेश में अपने राज्य की
सीमा का विस्तार करने में लगे रहे | तत्पश्चात् विजित प्रदेशों के पुनर्निर्माण और
पुनसंड्ूठनों ने उनका ध्यान आकृष्ट किया | शिक्षा तथा शासन की दृष्टि से अनेक
प्रयोग किए गए। १८४७ की राज्यक्रान्ति के बाद् देश का राज्य ईस्ट इंडिया
कंपनी के हाथ से निकल कर सप्रादू के अन्तर्गत ब्रिटिश मन्त्रि-मण्डल के हाथ में
चला 'गया | नवीन शासन-ब्यवस्था के कारण जिन नीतियों का व्यवहार हुआ
उनका प्रभाव देश-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ना अवश्यम्मावी था। केवंल
राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, अन्य कई कारणों से भी १०५७ एक महचपू्ण तिथि
है। इससे कुछ ही वध पूर्व हिन्दी-प्रदेश में वैज्ञानिक आविष्कारों का प्रचार हुआ
था। उन्नोसवी शतान््दी के सभ्न से अधिक महत्वपूर्ण आविष्कारों, रेल और तार,
का क्रमशः १८५४ शरोर १८४१ में ही सूत्रपात हुआ । इन वैज्ञानिक आविष्कारों
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