स्त्री - समस्या | Stree Samasya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
448
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)এ,
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वन्ति ! क्रान्ति ! क्रान्ति { जिधर देखी, आज यदी
गन मची हदं ै। न्स की रज्यक्रान्ति से, आघुनियः
रुप में, इसका उद्धव हुआ ह; अर, तवते अवतक, यद
उत्तरोत्तर जिकसित ही होती चढी आ रही है। दुनिया में
किसी भी भोर दृष्टिपात कीजिए --कहीं राजनतिक तो कहीं
सार्थिक, कही धार्मिक तो कहीं नेतिक--किसी-न-किसी
प्रकार की क्रान्ति का ताण्ठव सर्वत्र, थोढ़े-ब्रहुत रूप में,
दौखे ही गा । न-जाने कितने राजवंश छित्न-भिन्न हो चुके हैं,
न-चाने कितने मदान्ध दासक घराशायी हो चुके हैं, न-जाने
कित्तमे गयवियों का मान-सर्दन हो झुका है, नन्जाने क्रितनी
परय्परायं दद चुकी ह, जीर मनाने मौर भी कितनी उथट-
पुयल मच चुकी दै क्रान्ति के नाम पर ! न्स का च्ल,
छुई गया; रूस के जार का कुत्छेआम हो गया; आज के
स्वेच्छाचारियों और अत्याचारियों के आग्य का भी कोन
'डिक्वाना है ? और सामाजिक अथाये' ९--ओोह, कहाँ है आज
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