नागरिक शिक्षा | Nagrik Shiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[विपये प्रवन्त =
मे सहयोग करना छोड़दें तो इससे सबकी ही हानि होगी | ठीक
हमा तर हरक मनुष्य की उम्नत्ति से समाज की उन्नति में सहा-
यता मिलती £ै; समाज के भिन्न-भिन्न अंगो का, अपने अलग-
प्रनग स्वार्थ का दिचार करना अनुचित हैं ।
समाज के हित में इमारा दित ह--पाटको | जगा
विचार करने से यह बात ग्पप्ट हो जायगी कि यदि हम अपनी
भलाए़ था कल्याश चाहने ह तो हमे समाज के दूसरे अंगों >
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