रसौली पुरुष | Rasauli Purush

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Rasauli Purush by मनोज दास - Manoj Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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16 | रसौली-पुरुष हाथ मिलाते हुए कहा--आप सचमुच अपने देश के गौरव हैं मिस्टर शर्मा, देश को आष पर नाज होनी चाहिए । देशवासी का गये ? गौरव ? मगर किसी ने पहचाना उन्हें ? अज्ञात, रहस्यमय, युमांतकारी, सावंभौम--इन सब शब्दों को छोड़ भी दें तो कम- से-कम हिंदुस्तान के छप्पन करोड़ सिरों में से उन्तके ही अकेले सिर को चुनकर कुदरत ने जो एक विकेष परीक्षण चलाया है, इतना ही सोच सके, ऐसा था कोई अपने देश में ? लौटते समय स्टुडियो के दरवाजे पर पहुंचते ही कुछ लोगों की भीड़ ने उन्हे आ घेरा । जल्लाद जैसा दिखाई देने वाले कुछ सस्त्र लोगों ने उनका रास्ता रोकं लिया । कुछ अपेक्षतया तेज आलोक रेखा से वह बिघने लगे। रोशनी के इस ` तरह अचानक हमले ने उनकी आंखो को चकार्चौष कर दिया । शर्माजी ने घबरा कर आंखें मद्र लिया । --यह भला कौन-सा तरीका है सज्जनों से मेंट करने का? आंखें खोलते ही शर्माजी ने घबराहट के साथ पूछा । --कई बात नहीं भिस्टर कर्मा । ये सब पत्रकार हैं। इनके पास यह कोई अस्व-शस्व नहीं बल्कि फोटो खीचने का कंमरा है । पत्रकार लोग एेसी खास घटनाओं की फोटो लेते ही हैं। डॉक्टर हाड्डस्टोन ने उन्हें समभाते \ इए कहा । १ 1 , शर्माजी. कुछ पल तो सकपका गए फिर सकुचाते हुए पूछा--तो क्या ये लोग भी इसके लिए पैसे देंगे ? | यह पृश्ते ही अपनी चतुराई को आप कर मिस्टर शर्मा चमत्कृत होने लगे । -नरीं भिस्टर शर्मा, ये लोग कोई पैसे नहीं देंगे । इनके रुपए देने | का कोई सवाल ही नहीं उठता । फिलहाल आप समाचार पत्रों के लिए না एक खास खबर बन चुके हैँ} आम लोमोंके रिक्षा तथा मनोविनोद के |. लिए आपका फोटो लेना तथा समाचार पत्रों में उसे छापना उनका अधिकार होता है । तो मिस्टर शर्मा, मैं आपको बताना भूल ही गया था कि 'खिलाड़ी” नामक एक पापुलर मेंगेजीन आपका एक विश्येष साक्षात्कार लेना चाहता है । इसके एवज वह आपको एक मोटी रकम देने को भी तैयार है।




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