आत्मा ही है शरण | Aatma Hi Hai Sharan

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Aatma Hi Hai Sharan  by डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल - Dr. Hukamchand Bharill

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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9 'जिदेशों मे जैनधर्म के सष्णार-पसारः कती आयक्षमकला इसके बाद सान्फ्रांसिस्को पहुँचे। सान्फ्रासिस्कों में श्रीमद्‌ रायचन्द्र के अनुयायी गुजरात के पटेल लोग बहुत संख्या में रहते हैं; उनका वहीँ होटल और मोटलों का धंधा है। वे लोग बड़े भद्र परिणामी लोग हैं। उनके यहाँ भी हमारा एक प्रवचन व चर्चा हुई । इसके बाद शिकागो पहुँचे । वहाँ भी एक प्रवचन एवं तत्त्वचर्चा का कार्यक्रम हुआ। इसके बाद क्लीवलैंड पहुँचे, जहाँ गो के. सी. मायजी के यहाँ ठहरे। अन्य स्थानों के समान वहाँ भी प्रवचन और तत्त्वचर्चा के कार्यक्रम हुए। इसीप्रकार डिट्रोयट में भी प्रवचन और चर्चा के कार्यक्रम हुए। इसके बाद ह्यमस्टन पहुँचे। वहाँ तीन दिन रुके। यहाँ तीन प्रवचन और लगभग पौच घण्टे की तात्विक चर्चा हुई। इसके बाद फोर्टबर्थ में शैलेश देसाई एवं डलास में अतुल खारा के यहाँ ठहरे । दोनों स्थानों पर प्रवचन और तत्त्वचर्चा के कार्यक्रम पूर्ववत्‌ ही हुए । बोस्टन में जैन सेन्टर के अध्यक्ष डॉ. विनय जैन के यहाँ ठहरना हुआ । यहाँ प्रवचन और चर्चा का कार्यक्रम पूर्ववत्‌ ही हुआ। यहाँ से कार द्वारा डॉ. विनय जैन के परिवार के साथ ही दि. २८-७-८४ को सिद्धाचलम्‌ पहुँचे । बोस्टन, न्यूयार्क और न्यूजर्सी में जिनमन्दिर भी हैं; जिनमें दिगम्बर-श्वेताम्बर दोनों प्रकार की ही मूर्तियाँ हैं। यहाँ जिनमन्दिर चर्च खरीदकर बनाये गये हैं; अतः उनकी बाहरी रूपरेखा चर्चों जैसी ही है, जिनमन्दिरों जैसी नहीं। प्रत्येक में प्रबचन हॉल भी ह, जिनमे ३००-४०० आदमी बैठ सकते हैं। तीन स्थानों पर प्रवचन आदि के क्रार्यक्रम उन्हीं जिनमन्दिरों के हॉल में हुए। न्यूयार्क और न्यूजर्सी में तीन प्रवचन हुए। न्यूयार्क में तो इतने लोग इकट्ठे हुए कि कुछ लोगों को बाहर खड़ा रहना पड़ा। प्रत्येक प्रवचन के बाद लगभग १ घण्टे ३० मिनट चर्चा हुई । इसके अतिरिक्त डॉ. महेन्द्र पाण्ड्या एवं श्री दिलीपजी सेठी के घर भी तत्त्वचर्चा




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