जैन क्रिया कोष | Jain Kriya Kosh

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Jain Kriya Kosh  by दौलतरामजी - Daulatramji

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महान भक्ति कवि पं दौलत राम का जन्म तत्कालीन जयपुर राज्य के वासवा शहर में हुआ था। कासलीवाल गोत्र के वे खंडेलवाल जैन थे। उनका जन्म का नाम बेगराज था। उनके पिता आनंदराम जयपुर के शासक की एक वरिष्ठ सेवा में थे और उनके निर्देशों के तहत जोधपुर के महाराजा अभय सिंह के साथ दिल्ली में रहते थे। उन्होंने 1735 में समाप्त कर दिया था जबकि पं। दौलत राम 43 वर्ष के थे। अपने पिता के बाद, उनके बड़े भाई निर्भय राम महाराजा अभय सिंह के साथ दिल्ली में रहते थे। उनके दूसरे भाई बख्तावर लाई का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है।

पंडितजी के प्रारंभिक जीवन और शिक्षा के स्थान के बारे में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। दौलत राम। चूंकि उनके प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झोन-क्रियाकोप १३ पि 0 ०५०० ००६० ~~ = সত = ण य পি, री गारिमें जोब असंख, निन्द साधु अदयं अकंक ॥१२०॥ 1 खाये टं निज प्राण, सो विपजाति अभक्ष अवान । फ्‌ जौर मदोरा आदि, तजौ सकल सुनि चप अनादि ॥ शचौ माखण अति हि सदोष, भखिया करं सवं सुभ सोष। हे आमिष दपण मार्हि, एनि एूनि निन्यौ ससे नाहि ॥ प्ठि अति तुच्छ खाहु सति चीर, निन्दे महावीर जगधीर । लौ राति जमाबे कोय, ताहि भखत दुरगति एर होय ॥ नेज सवाद तनि हुवे बिपरीत, सो रसचरित तजा भवभीत। आरे मदिरा दूषण महै, नियौ ताहि सुद्ध नहिं गरै॥ ए बाई अभख तजि सखा, जो चादौ अनुभव रस चखा | प्रवर अनेक दोपके भरे, तजो अभख मन्यनि परिहरे ॥ एल जाति सब ही दापीक, जीव अनन्त फरे तहकीक । वह न इनकों सपरस करो, इृह जिन आज्ञा हिरदे धरौ ॥ রানী और त्तधित्रों सदा इनकू तजहु न ढांकहु कदा। पाक-पत्र सथ निद वखानि, त्याग करौ जिन आज्ञा मानि।॥ मेम धमं चरत राख्यौ चदै, तौ इन सबद कबहु न गहै । गड तनं बड वोरि ज॒ तमे, तजौ बौर त्रस जीव जु धने ॥ पञ ओर कोदला तजौ, तजितरवज জিন भजौ । ब्रांच ओर करोंदा जहु, दूध क्षरं त्यागौ सहु तेद॥ इन्दे शाकदरु एल ज त्यागि, साधारण फरुतं दुर मागि । नो प्रत्येकहु छांड़े बीर, ता सम और न कोई धीर ॥१३०॥ আশ € हु




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