जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज | Jain Agam Sahitya Main Bhartiya Samaj

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Jain Agam Sahitya Main Bhartiya Samaj by जगदीशचंद्र जैन - Jagdeeshchandra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची प्रास्ताचिक ५-१२ এ, ৩ সি प्रथम खण्ड ; जेनधम का इतिहास पहला अध्याय : जैनसंघ का इतिद्दास 1 श्-र५ आदि तीर्थंकर । बाईसवें तीथंकर-नेमिनाथ । पाइ्यंनाथ-एक ऐतिहा- सिक् व्यक्ति । वर्धभान महावीर । महावीर और मंखलिपुत्र गोशाकू । महावीर के गणधर । सात निहुव। दिगम्बर भौर श्वेताम्बर मतभेद । दिगम्बर भौर श्वेताम्बर उतत्ति। जैन आचायों की परम्परा । राजधरानों मे महावीर का प्रभाव! महावीर का नि््रन्य धमं 1 दूसरा अध्याय + जैन आयम और उनकी टीकाएं । २६-३७ आगम-सिद्धान्त । आगमों को वाचनाएं । आगमों का महत्व । आगमों की भाषा । परिवर्तन और संझोधन- आगमों की प्रामाणिकत्ता । आगमों की टीकाएं । द्वितीय खण्ड : शासन व्यवस्था पटला अध्याय : केंद्रीय शासन-ब्यवस्था | ४१-६३ राजा मौर राजपद 1 युवराज ओर उखका उत्तराधिकार। राजा ओर राजपु के सम्बन्ध । उत्तराधिकार का प्रश्न 1 राज्याभिपेक- समारोह । राजमवन : राजप्रा्ाद । रजा का भन्तसुर । अन्त्रः के रक्षक | सौतिया डाह। राजा के प्रधान पुरुष 1 . दूसरा अध्याय ५ न्‍्याय-व्यचस्था । ঘি स्थायाधीश । मुकदमे तीसरा अध्याय + अपराध और दण्ड । ७०-०१ चौरकर्म। चोरों के प्रकार। सेंध छगाना । चोरों के गांव । चोरों के आस््यान । दण्डद-विधान ॥ राजा का एकछत्र राज्य। जेलखाने । राजगृह का कारागार।




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