प्रमेयकमल मार्त्तंड | Prameykamal Martand

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Book Image : प्रमेयकमल मार्त्तंड  - Prameykamal Martand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[11] হী সী ছার ফখ लेता है। जितने भी विकल्प उठने चाहिये सभी को उठाकर उन सभी का विवेक पुर्वके समाधान किया गया है। उदाहरण के लिये दिये गये इलोक टोकाक!रके तनत्‌ तत्‌ ग्रन्थ सम्बन्धी झ्गाध भ्षानको दर्शा रहे हैं । उपादेयता-- इस ग्रन्थकी उपादेयता जैन न्याय में सर्वोपरि है। न्‍्यायके जितने भी न्ह उनमें प्रमेय कमल मात्तं ड॒ बहूचचित है। शास्त्री, त्यायतीर्य, भाचाए जैसी उच्च कक्षाओं का पाठ्य ग्रन्थ होनेसे इसकी उपादेयता स्पष्ट रीत्या समभ में प्रा जाती है । बिना न्यायके कसौटोपर कसे वस्तु तत्व समभ में नहीं भाता । भावायं ने प्रमारका स्वरूप भली भांति समकाकर जैनागम्में अपना प्रमुख स्थान बनाया है । न्यायको जने बिना वस्तुका वल- स्पर्धषी ज्ञान नहीं हो सकता, धत: प्रस्तुत ग्रन्थ न्याय विषयक होनेसे विशेष उपादेय माना जायगा । ग्रन्थ रवयिता-- स्थान, गुरु परंपरा और काये क्षैतर-- इस प्रमेषकमल मात्त ण्ड के रचयिता आराचार्य प्रभाचन्द्र हैं, ये घारानगरी के शासक राजा भोज द्वारा सम्मानित एवं पूजित हुए थे। श्रवणबेलगोलाके शिलालेख के श्रनुसार श्री प्रभाचन्द्रा- चार्थे मूल संघन्तगंत नंदीगणकौ श्राचारय परम्परा में हुए थे। इनके गुरुका नाम पद्मनन्दीथा। इनकी शिक्षा दीक्षा पद्मनंदी द्वारा हुई मानी जाती है, किन्तु परीक्षामुख॒ के कर्ता माणित्रयनंदी को भी इन्होंने गुरु रूपमें स्वीकार किया है । प्रभाचन्द्राचार्य राज मान्य राजधि थे, राजा भोज द्वारा नमस्कृत थे, ऐसा निम्न लिखित इलोक द्वारा सिद्ध होता है-- श्री घाराधिप भोज राज मुकुट प्रोताइम रश्मिच्छुटा- च्छाया कु कुम पंक लिप चरणांभोजात लक्ष्मी धवः । न्यायाब्जाकर मण्डने दिनमरिणः शब्दाब्ज रोदोमरि: स्थेयात्‌ पंडित पुण्डरीक तरणिः श्रीमान्‌ प्रभा चन्द्रमाः ।१। श्री चतु सुखदेवानां शिष्योऽधृष्यः भरवादिर्भिः । पण्डित ध्री प्रभाचन्द्र सुद्र वादि गजांकुक्षः ।।२।। उक्त इसलोकोमें इनको पंडित कहा गया है, इससे यह नही सममना कि ये शहुस्थ पंडित होंगे। यह विशेषण तो इनको विद्वान्‌ सिद्ध करने हेतु है। वस्तुत: ये नग्न दिगम्बर जेनाचार्योंकी परम्परामें মান্য भ्राचायं थे। इनको शब्दाब्ज दिनमणि की संज्ञा देना इनके द्वारा रचित जैनेन्द्र व्याकरण पर जैनेन्द्र न्‍्यास-शब्दाम्भोज भास्कर तामक प्रन्धके कारण है। प्रथित ताकिक कहनेका प्नभिप्नाय भी




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