स्वतन्त्रता के पश्चात तन्त्र वाद्दों की उन्नति एवं अवनति का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Swatantrata Ke Pashtat Tantra Vaddon Ki Unnati Avam Avanati Ka Vishleshnatmak Adhyayn
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
367
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संगीत-कला और स्थापत्य कला का तात्विक अन्तः
सम्बन्ध अक्ष्ण टै । संगीत श्रव्य कला है, और तक्ष्मत्म
कला भी तथा स्थापत्य कृयकला है, और सर्वाधिक स्थुल
कला উ | इसीलिए पएलेगेल ने स्थापत्यकला को छुञ्नोजैन !
म्यूजिक” कहा है |
काव्य और हंगीत कला ये ठोनों ही श्रव्य बलाएँ
है संगीतकला में काव्यात्मतता और -यित्रक्त्यक्ता का
समावेप्रा होता रहा था।
रैली, ব্রিক, अभिव्यक्ति भं॑गिमा और पेष्णीयता
के माध्यम की ठृष्टि से ललितक्लाओं में चाहे जितनी
भिन्नता हो परन्तु < समा की न्रुष्टि वै सभी ललित
कलाओः भ एक पुच्छन्व अन्तः सम्बन्ध है । इन ललित
कलाओं मे तात्त्विक अन्तः सम्बन्ध का म्रलाधार स्वर-बौध
ओर वर्ण-बोध का घारस्परिक सम्बन्ध टै । चित्रकला,
संगीतकला और জাতক भे तात्ततिक समामम की क्षमता
গা কাত রর 1 आम 1 1 0 पी धाम
| सौन्दर्य शास्त्र के तत्व दौ8 इमार-विबल।, घु. 786.
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