आधुनिक यमलोक | Aadhunik Yamalok

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Aadhunik Yamalok by डॉ कैलाश चंद्र शर्मा - Dr. Kailash chandra sharma

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डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा, बी 177 नित्यानंद नगर जयपुर।

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रकम हे. न्प उ पं मे. मे. गा ८. छू. है. अर झा | ते सर्द तर्न छह :+ कु काना कल नि, कि यमदूत किस्मती उपकारी किस्मती जड़ खाखू उपकारी बड़े बाबू किस्मती किस्मती देखते हैं ) (प्रवेश करके) गुड मार्निग बड़े बाबू । ये जमीन का प्रसिद्ध जेबकतरा टाईगर है। इसने अपने जीवन में कोई अच्छा काम नहीं किया और हमेशा लोगों की जेबे काटी हैं । (फिर एक फाईल देते हुए) यह इसकी यत्रावली है । (वापस प्रस्थान करता है 1) (खुशी से) जेबकतरा ! वेईमान हु ........ री ( किस्पती को अलग ले जाते हुए) मिलेगा हमको माल। : ये तो है अपना मेहमान. ......। (दोनों हाथ मिलाते हैं) :. उपकारी | (पास जाकर) जी बड़े बाबू । (सीट से उठते हुए) मैं लंच में जा रहा हूँ । (फिर टाईगर की उपकारी को देते हुए) इसकी यह पत्रावली सम्भालकर रखना | मैं लंच से आकर इसे साहब के सामने पेश करूँगा। वे ही इसका निर्णय करेंगे। (फिर किस्मती से) किस्मती। यह एक खतरनाक अपराधी आत्मा है, इसका ध्यान रखना। कहीं भाग न जाये। (व्यंग्य से) आप निश्चित होकर जायें बड़े बाबू । हम हर चीज का ध्यान रखेंगे । (बड़े बाबू का प्रस्थान) (टाईगर से) कहों दोस्त कैसे हो? (टाईगर डरता है) 18




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