आरोग्यका अमूल्य साधन | Aarogya Amulya Sadhna
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
367
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पंद्रह :
संख्या अनेकगुनी बढ़ती जाती हैं; यह अत्यन्त - खेदका विषय है।
जिस बारेमे अक जीता-नागता दृष्टान्त प्रस्तुतः करता हूं।
सन् १९३१-३२ में और सन् १९५७-५८ में अहमदाबादकी
आबादी, स्युनिसिपलिटीका बजट और चिकित्सकोंकी संख्या जिस
प्रकार है ।
शहरकी आबादी सन् स्युनि०का बजट. रजिस्टर्ड डाक्टर
. । और वैद्य-हकीम
३,८२,००० १९३१-३२ ३०,८०,००० २००. (लगभग )
९,७०,००० १९५७-५८ ২১০৩০ ০৪০০০ ৫০০ (लगभग)
ये. हैं अहमदाबाद शहरकी भरगतिके आंकड़े ! जिनसे पता चलता
है कि पिछले पच्चीस वरसमें शहरकी आबादी २५० .प्रतिशत . बढ़ी
है। शंहरको स्वस्थ, सुखी ओर सुन्दर ` बनानेके लिये सफ़ाओ,
सेंनिटेशन, सड़कें, नालियां, गुंजान आबादीके लिये नये आवास, छोटे-
बड़े बाग आदि पर पच्चीस बरस पहले जो खर्चे होता था, वह
रुगभग ९०० प्रतिशत बढ़ गया है। सुख अेव॑ स्वास्थ्य संबंधी
म्युनिसिपकिटीके भिस ` बढ़े हओ खचैके अनुपातमे जनता पर आरोग्यके
खर्चका बोझ कम होना चाहिये था, परन्तु अुस खर्चसें ४०० प्रतिशंतकी
वृद्धि हुओ है; क्योंकि जनता पर निभनेवाले डांक्टरों और वैद्य
हकीमोंकी संख्या चौगुनी हो गयी. है। जिसका क्या कारण ? प्रत्येक
विचारशील व्यंक्तिके लिये यह प्रइन गंभीरतासे विंचारणीय ` है 1
जंनताका स्वास्थ्यं सुधरनेके. बजाय खूब बिगड़ा है, जो रोग थे वे
अधिक तीन्न हओ ह गौर अनेक नये रोग पैदा हो गये. है; भिसं ठोस
सत्यसे भला कोओ जिनकार कर सकता. ই? यह स्थिति ` केवर
अहमदाबाद शहरकी ही नहीं है, परन्तु भारतके किसी भी छोटे-बड़े
गांवकी, क़सबेकी और शहरकी जैसी ही- चिन्ताजनक दकाः है! -
लिये जिम्मेदार कौन? जो संस्था या वर्गं यह कहता है.कि जच `
User Reviews
No Reviews | Add Yours...