मेरी प्रिय कहानियाँ | Mari Priy Kahaniya
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घरती धव भी पूम रही है. ७
সমী লাল মীন হন ये **
নীলা ने सहमा दोनों हाथो से पपना मुंह भीच लिया । उसकी खुदवी
विवलमे वालो थी | उसने मन हो मन विद्धल-विक्ल होकर बा, विवाजी!
प्रय नही सद्दा जाता। भ्रव नहीं महा जाता। मौसा तुम्द्दारे कमल वो
पीदते हैं । पिताजी, तुप भा जाध्ों । भव हम उस्इूस में नहीं पढ़ेंगे।
अप हम यड़िया कपड नही पहनेंगे । पिताजी, तुमने रिएदव सी थी तो देने
कपो नहीं '* गयो * ' क्यो **
इस प्रकार सोचते-सोचते उसको बन्द धायो बे भरवकार ঈ লিলা দা
मूति भौर भी दिधाल हो उठो' “एक प्रधेड ब्यहित छो मूति, जिसकी
प्रांसों में प्यार पा, जिसकी थाणी में मिठास थी, जिसने दोनों दर्चों को
नये स्टूल में भर्ती करवा रता या; जहदां उन्हें कोई मारता-मिद्व ता नही
च।, जलो गाना मिलता पा, जहां ये तस्वोरें काटे थे, रिलोने बनाते थे **
झौर धर में पिता उतके लिए खाता बनाता था, घच्छी-प्रष्छी गिताई
साता पा, फल साता था। उनको मां के मरने पर उसने [[सरों धादी तर
मी की थी
मीना ने ये सब बातें पशेतियों के मुद् मुती । ये सब उसके [বিনা ধা
बड़ो तारोफ करते । उसने भपने बानों से पिता हो यह शहते सुता था कि
रिपश्त लेता पाप है। सेहिन छ़िए उन्होने रिश्वत की *जरों सो **
प्रातिर इयर ***?
पशेमसिन बहतो, उसका शप बहुत था, घौर धामदनो कम | হয
झर्षों वो धष्छी शिशा दिखाना बाहुका पा, पौरनुप जानो एच्छों शिक्षा
बहुत महो है'**
महंगी ***झश यो दो हो उसने रिश्श्त सी। मह दो हीठा बया होश है **
गौर घब पिता बं से एटेगे ? सोझा कहे ये, “शा को दिष्वड देठे तो एट
जातें1 एबं जय ने तोन ट्शार लेकर एवं शाग गो ठोह दिएए दा । प्क
धाइमी जिसने एक घोरत বা দা যাক था, उठे भी फर ने छोर दिशा
दा। पौष हार लिए दे दातर हरार বিন টা है? णोर.
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