यामा | Yaama

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Yaama by महादेवी - Mahadevi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रजतकरों को मदुल कूलिंका से ले तुदह्िन-बिन्द सुकुमार कलियों पर जब आँक रहा था करण कथा अपनी संसार तरल हृदय को उच्छवासें जब भोले मेघ . लुटा जातें अन्धकार दिन को चोटों पर अच्जन बरसाने आते मघ को बूँदों में छुलके जब तारक-लोकों के शुचि फूंल विधुर हृदय को मुद्दे कम्पन सा सिहर उठा वह नीरव कूल मूक श्रणय से मधुर ब्यथा से स्वप्नलोक के सें आह्वान वे आयें. चुपचाप सुनाने तब मछमय मुरली को तान




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