रतिप्रिया | Rati Priya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.49 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रतिप्रिया १४
पीकर मुझे खुशी मनाने का सौका दीजिए ।” पुरुष के आकर बैठते ही
उसने पहले उसके प्याले को पूरित किया और फिर अपने पाल्न को । उसने
सुना--
ही
“वे सज्जन भाज दिखाई नहीं दिये ।”
न हाँ ।
प्बयों ?”
“वे यहाँ नही हैं; चले गये ।”
“कहाँ ?”
“कुछ कह नहीं गये ।”'
/ “क्यों?” *
“कुछ वताया नही ।”
फिर भी ?” होदों
“क्या आप कुछ बता गये थे?” पुन. एक सुस्कराहट उसके होठों
पर छा गई।
गम और मैं! एक ५०० ००००० 4
“एक जैसे नहीं है । यही तो ?”
ग्हाँ
“आप पहले चाय नोश फरमाइये 1”
“यह तो चलती रहेगी ।”
* “फिर पहले इसे ही चलने दीजिये ।” दो-तीन पूँट पेय के गलें से
नीचे उतारने के बाद पुरुष पुन: वोल उठा--
१
“वे तो इस घर के मालिक थे । यही, यायद,'आपने बताया था
ग्जी
“फिर भी आपको पता नही ?”
“यह सही है ।”
बात समझ में नहीं आई ?”
“सब का सारा कुछ समझ मे नही आता है 1
“कोई रहस्य है। बताने में कुछ आपत्ति है ?”
“न रहस्य है, न आपत्ति 1”
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