खोज में उपलब्ध हस्तलिखित हिंदी ग्रंथो का चौदहवां त्रैवार्षिक विवरण | Khoj Mein Uplabdh Hastlikhit Hindi Grantho Ka Chaudhwa Travarshik Vivran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
90 MB
कुल पष्ठ :
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५१
हैं. तथापि उनकी प्रौढ़ विषय-मरिपाद्न-लली, भाव.गाभोरथ, सरक शबन्दयोजना आदि गुणो
को देखते हुए यह बात केवछ उनके विनीत भाव को ही प्रदर्शित करती है ॥
२--रतिभान और उनका 'जैमिनीपुराण' भी खोज में विल्कुछ नवीन हैं । विनोद
में भी इनका उल्लेख नहीं है । यह अंथ संवत् १६८८ वि० ( ३६३१ ई० ) में बना था,
जैसा कि नीचे के दोहे से प्रकट हैः--
“संबत सोरह सौ अद्ठासी अति पवित्र बैल्लांप ॥
सुका सोम त्रयोदसी भई पूरन कथाउमिछाप॥”
कवि ने अपना परिचय इस प्रकार दिया हः.
“देस नौरठो उत्तम टाऊँ। बस्यो जहाँ इटौरा गा ॥
कालपक्षे कालपी पासा । सिदधिसाध पंडित सुपवासा ॥
क गंगा बैतवै इत নই | न््हाए जहाँ पाप नहीं रहै ॥
मध्य खुदेस इटोरा गोंड । तदं सत्य गुरु रोपन तिदि ना ॥
मगर मनाम पंच है जाकौ | निर्गुन मत्र ज्यै जग ताकौ ॥
कीरति विदित कहै सबु कोई । हमरे कह्दे बड़े नहिं होई॥
मैं आय बढ़ाई काज वपानौ । जाते नाड हमारौ जानौ ॥
तासु पुत्र कुछ मंडन दास । भगति भागवत प्रेम हुलास ॥
जानराय जगनाम कहायो । छोटे बड़े सबनि मन भायो ॥|
जैसो प्रगट जगत जसु जाको । श्रीपरशुराम पुत्र है ताको ॥
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श्रीपरशराम गुरू पिता हमारे । वाकी स्तुति करत पुकारे ॥
ताके भु त्र नि चारि।.....
অই तीनि सवि विधि लायक । संत साघु सवदि सुपदायक् ॥
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अपनी वात कौं परवान । सव कोड कदे नाम रतिभान ॥'
इससे प्रकट होता है कि प्रंयश्ार ( कलयुग की गंगा ) बेतवा नदी के किनारे पर
बसे इटौरा गाँव का निवासी; प्रणाम पंथाजुयायी किसी परशुराम का शिष्य ा । इटो
गाँव कालपी से चार-पाँच कोल पर है । वहाँ रोपन गुरु का मंदिर प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष
कार्तिकी पूर्णिमा से १५ दिन तक वहाँ मेला छगता है । यह स्थान निबा मंड में है।
बेतवा नदी के उस पार राठ तहसील है । इटौरा भी राठ का ही एक अंग माना जाता है।
संभवतः “निवहा' ही रतिभान का 'नौरठा' है और दोनों एक ही शब्द (नवरा क पञ्चा
रूप हैं, जो इस मंडल का प्राचीन नाम जान पढ़ता है । प्रणाम पंथ, जिसे अब छोग पर-
जाम पंथ कहते हैं, कबोर पंथ की तरह, निर्गुण सिद्धांत को ही माननेवालछा जान पड़ता है,
जैसा कवि के छिखे--प्रगट प्रनाम पंथु है जाकौ। नियुंण मंत्र जपे जगु ताकौ ॥ इस
पद्यांश से प्रकट होता है ।
User Reviews
Soniakadian
at 2019-12-19 16:43:26"बढ़िया है"