भक्तिसूत्र | Bhaktisutra
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पण्डित रामस्वरुप शर्मा - Pandit Ramswarup Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दार्ध-मीजीध-सहित । (१५)
मम्तते हैं, वह ॒नित्यधामके नित्यप्िद्ध भगवत्पारिषदाको सम्पत्ति
निपर भी श्रीमगवान से अलुग्रहसे देवनदी गगांक प्रवाहका समान
पारमे आकर शोर शद्ध जीवानि छवयाव करे साय एकाकार हा-
कर उनकी स्वाभाविक्न वृत्ति के रूपम वहुरही हैं | कहा भी है,
क ' दरवानां गुफलिङ्धानामाचश्राविक्क्मंणाम् । सत्त एवंक्रमन््तो
त्ति: स्वाभाविक्नी तु या॥ सनिमित्ता भागवती माक्तः पिद्धगरायपरां |
यत्या या कोप निगीश[मनत्ता यथा ॥” जयषात प्रकृतिक तीनों
गग जिनकी उपाध हु आर वरएराणादम जत्तक वमा चरन
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छ उन ताना दंचताआम आधप्ठानक्क द्वारा सतल्मुयुका उपकार
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उक्ता दही नाम भगवती मक्ति हे । वह दवरूपर्णाक्त कीं वृत्ति
होनेपर भी विषयपतोन्दरयक्ते कारस्. विना यल् पत युभमक्त कं स्वमाव्
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