इंगलैंड में गांधीजी | England Main Gandhiji

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England Main Gandhiji by महादेव देसाई - Mahadev Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरबों का संदेश १५ और अन्य लोगों ने हिन्दुस्तानियो का साथ दिया । दान्ति के सव उपा- सको को शान्ति को चिरस्यायी बनाने के काम में अरबों को सन्द सहयोग देना ही चाहिए 1 मुहम्मद और इस्छाम की जन्मभूमि, यह महाद्वीप, हिन्दू-मुस्लिम-समस्या के हल करने में मदद कर सकती हैँ । मेरे लिए यह अस्वीकार ,करना छज्जा की वात हैं कि अपने धर में हम एक-दूसरे से अछूग हें। कायरता और भय से हम एक-दृसरे का गला काटने दौड़ते हैं । हिन्दू कायरता और भय के कारण मुसल- मानों का अविश्वास करते हैँ और मुसछमान भी वैसी ही कायरता और कल्पित भय से हिन्दुओं का अविश्वास करते हें । इतिहास में शुरू से अशीर तक इस्छाम अपूर्व बहादुरी और शान्ति के लिए खड़ा हैं। इस- लिए मुसलमानों के लिए यह गौरव की वात नहीं कि वे हिन्दुओं से भय- भीत हों । इसी तरह हिन्दुओं के छिए भी यह वात. गौख्पूर्ण नदीं हं कि वे मुसलमानों से, चाहे उन्हें संसार भर के मुसलमानों की सहायता क्‍यों न मिली हो, भयभीत हों । क्या हम इतने पतित हूँ कि हम अपनी ही पर- 'छाई से डरें ? आपको यह सुनकर आइचर्य होगा कि पठान लोग हमारे साथ शान्तिपूर्वक रह रहे हैँ । पिछले आन्दोलन में वे हमारे साथ कंधे- से-कंघा भिड़ा कर खड़े रहे और स्वतन्त्रता की वेदी पर अपने नौजवानों का उन्होंने खुशी-खुशी वलिदान किया। में आपसे, जो कि पैगम्बर की जन्मभूमि के निवासी हैं, चाहता हूं कि भारत के हिन्दू-मुसलमानों में शान्ति कायम रखने में आप अपने हिस्से का सहयोग दें । में यह नहीं बता सकता कि आप यह किस तरह करें, लेकिन जहां इच्छा होती है वहां रास्ता निकल ही आता ह । में अरव के अरबों से चाहता हूं कि वे “हमारी मदद के लिए आगे बढ़ें और ऐसी स्थिति पैदा करने में हमारी सहायता करें, जिसमें कि मुसलमान हिन्दुओं की और हिन्दू मुसलमानों की सहायता करना अपने लिए इज्जत और सम्मान की वात समझें । | - “बाकी के लिए में आपको अपने घरों में चर्खा और करघा चलाने का




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