कैवल्य ज्ञान प्रश्न चूड़ामणि | Kaivalya Gyan Prashna Chudamani
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about हंसराज बच्छराज नाहटा - Hansraj Bachchharaj Nahata
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)নিরব
यात्रा मुहूर्त १४८ | रोगमुक्त होनेपर स्नान करनेका मुहूर्त
वार घूछ-नक्षत्र शूलका विचार १४८ | कारीगरी सीखनेका मुहूर्त
चन्द्रवास विधार १४८ | पृक और खट्या, मचान आदि बनानेके मुहूर्त
ঘর দত १४९ | कर्ज छेनेका মৃদু
गृह निर्माण, नूतन गौर जीर्ण गृह प्रवेश मुहर्त १५० | वर्पारम्भमे हल चछाने, बीज बोने और फसल
शान्ति और पौष्टिक कार्योके मुहूर्त १५१ काटनेके मुहूर्त
कुमाँ खुदवाने और दुकान करनेके मुहर्त १५१ | नौकरी करने और मुकहमा दायर करनेके
बडे-बडे व्यापार करनेके मुहूर्त १५२ | मुह
नवीन वल्त, आभूषण बनवाने जोर घारण जूता पहननेका मुहूर्त
करनेंके मुहूर्त १५२ | भौपध बनाने और मन्त्र सिद्ध करनेके मुहूर्त
नमक बनानेका मुहूर्त १५३ | सर्वारम्भ मततं
राजा या मन्वियोपे मिलनेका मुहूतं १५३ | मन्दिर बनानेका मुहूर्त
बगीचा लगानेका मुह १५३ | प्रतिमा निर्माण और प्रतिष्ठा करनेके मुहूर्त
हथियार बनाने और धारण करनेका महू्त. १५४ | होमाहुति मुहूर्त
परिशिष्ट [२] जन्पपएतरी बनानेकी विधि
टकार साधन करके नियम १६० | द्वितीय भाव--आधिक स्थिति ज्ञात
भयात भौर भोग साधने नियम १६१ करनेकी विधि
जन्मनक्षत्रका चरण तिकालनेकी विधि १६९ | घनी भौर दरिद्री योग
छन्सारिणी १६३ | ततोय भाव--भाई-महनोके सम्ब्धमें विचार
जनप लिलनेकी विधि १६४ | «तुर्थ भाव--पिता, ग्रह, मित्र आदिका विचार
विशोत्तरी दशा निकाहनेकी विधि १६५ | ঘর্বম भाव-सन्तान, विद्या आदिका विचार
अच्तर्दता साधन और सूर्यादि नवग्रहोके पष्ठ भाव--रोग आदिका विचार
अन्तर्दशा चक्र १६७ | सप्तम भाव--वैवाहिक सुखका विचार
जन्मपत्रीमें अन्तर्दशा लिखनेंकी विधि १६८ । अप्टम भाव--आयुका विचार
जन्मपत्नीका फछ देखनेकी सक्षिप्त विधि १७० | नवम भाव--भाग्य विचार
प्रहोका स्वरूप १७० | दशम भाव--पेज्ञा एवं उन्नतिका विचार
प्रहोका बछावह और राशि स्वत्प १७१ | एकादश भाव--छाभाहाभ विचार
द्ादश भावोके फछ १७२ | द्वादश भाव--व्यय विचार
ग्रह ओर राशियोके स्वभाव एवं तत्व १७३ | विश्ोत्तरी दशाका फल
शारीरिक स्थिति--कद, तप-रड्ध ज्ञान अन्तर्दशा फक
फरनेके नियम १७३ | जन्मलमानुसार शुभाषुभ ग्रहवोषक चक्र
परिशिष्ट [ ३] विवाहमें मेहापक-वर-कन्याकी कुण्डली गणना
ग्रह मिलान १८० | भकूट विचार
गृण मिलान १८० । नाडी विचार
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