मालिक मुहम्मद जायसी : एक अध्ययन | Malik Mohammed Jayasi : Ek Adhyyan

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Malik Mohammed Jayasi : Ek Adhyyan  by रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ इस्लामी सफीमत का विकास . ६३२ ई० सें मुहम्मद साहब की मुत्यु हो गई। सूफ़ियों का कहना है कि सुहस्मद साहब ने स्वतः गुद्यता के कारण सुफ़ीसव का प्रचार नहीं किया । उन्होंने इसकी शिक्षा अली को दी। अली की म॒स्यु-विथि ६६० ३० है। जान पड़ता है, अली अच्छे भक्त थे। वे इस्लाम का संचालन बहुत समय तक हीं कर सके । ६६० ३० भें उनका वध कर दिया गया ओर उम्मैया वंश ने शासन आरम्भ किया । इसका शासन काल ६६१-७४६. ० है । ६८० ३० मे करवला कौ प्रसिद्ध घटना हुईं और शअलो के दोनों पुत्र हुसन-हुतैन वलि को গা हुए । अलो की इमासत को लेकर मुसलिस जगत में जो तीज्न मतभेद उठ खड़े हुए थे, उन्हें लेकर अनेक पंथ चल पढ़े । खलोफ़ाओं की इस्लाभी सलतनत सीरिया से सिंध तक फैल गई थी और इस्लाम अनेक प्रौढ़ धर्मो' के संपक सें आ गया था । शीघ्र ही बसरा में एक “मोतजिली? नाम के एक बुद्धिवादी संप्रदाय का जन्म हो गया जिसका नेता हसन ( सु० छर८ ३० ) था। 'मोवर्िल्ी? मतबाद हमारे यहाँ के संतमतवाद से मिलता- जुलता दै ! इसे ज्ञानाश्रयी भक्तिवाद्‌ कदा जा सकता है। उसमें आभी मादनभाव का मिश्रण नहीं हुआ था। हसन की मृत्यु के बाद ईरान में सुफ़ीमतवाद की इतनी प्रवल लहर उटी कि सारा इस्ज्ञामी जगत उसकी हिलोरों में डूबने-उतराने लगा । वस्तुत: इस्लामी सूफीमतबाद का विशेष विकास उर्वी-ध्वीं




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