महाकवि दौलतराम कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Mhakavi Dolatram Kaslival Vyaktitv Evam Krititv

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Mhakavi Dolatram Kaslival Vyaktitv Evam Krititv  by कस्तूरचंद कासलीवाल - Kasturchand Kasleeval

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5 आभार ` १८वीं शताब्दी के महाकवि दौलतरामजी कासलीवाल के जीवन .एवं साहित्य पर श्राधारित पुस्तक पाठको के समक्ष प्रस्तुत है । महाकवि ने हिन्दी साहित्य. की जो महान्‌ सेवा की थी उसी पर इसमें प्रकाश डाला गया है। “ दौलतरामः कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व पुस्तक प्रकाशन के लिये मैं श्री दि० जैन अ्र० क्षेत्र श्रीमहावी रजी की प्रवन्धकारिणी कमेटी के सभी सदस्यों एवं विशेषतः उसके अध्यक्ष श्री मोहनलाल जी सा० काला एवं मंत्री श्री : -सोहनलाल जी सा० सोगाणी का आभारी हूँ । जेन साहित्य के संरक्षण एवं प्रकाशन की ओर आप दोनों की ही काफी रुचि है जो सवंथा स्वागत _ योग्य है । | ` पुस्तक के प्रस्तुतीकरण में पं* अनृपचन्द जी न्‍्यायतीर्थ का जो पूर्ण ` सहयोग मिला है इसके लिये मैं उनका पूर्ण आभारी हूँ । कवि के जीवन्धर .. चरित को खोंज निकालने का श्रेय भी आपको है। मैं मेरे अन्य सहयोगी . श्री त्रेमचन्द सवका एम. ए. रिचसं स्कालर का भी आभारी हूँ जिन्होंने कवि . के अनच्यों की प्रेस कापी करने में पूर्ण सहयोग दिया है । जयपुर के दि० जैन मन्दिर पाटोदी शास्त्र भण्डार के व्यवस्थापक श्री भंवरलाल जी बज का भी आशभारी हूँ जिनके शास्त्र भण्डार के गुटके में हमें कवि का जन्मलगन प्राप्त নক্সা है। इसी तरह पाण्डे लूण॒करणजी के शास्त्र भण्डार के व्यवस्थापक ` श्री मिलापचन्द जी वागायत वालों का भी आभारी हूँ जिनके शास्त्र भण्डार की विवेक विलास की एक मात्र पांडुलिपि का पुस्तक में उपयोग किया गया है । इसी तरह उदयपुर के दि० जैन अग्रवाल मंदिर के व्यवस्थापक डा० मोहनलाल जी जैन का भी मैं आभारी हूँ जिनके मंदिर के शास्त्र भण्डार ` में संग्रहीत जीवन्धर स्वामि चरित की एक मात्र पाण्डुलिपि का हमने उपयोग किया है ! प्रस्तुत पाण्डुलिपि कवि की मल पाण्डुलिपि है । श्री वा० राजमलजी गोधा व्यवस्थापक मंदिर जी ठोलियान्‌ का भी मैं आभारी हूँ जिनकी अध्यात्म वारहखड़ी की प्रति. का इसमें उपयोग किया गया है। मैं पं० भंवरलालजी पोल्याका जेनदशंनाचार्यं का भी उनके सुझावों के लिए आशारी हूँ ।




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