सुन्दरसार | Sundarsar

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Sundarsar by पुरोहित हरिनारायण - Purohit Harinarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) इनकी भाषा की उत्कृष्टता मी इनकी ख्याति ध्मौर ज्लोकप्रियता फा एक टृ कारण इ । अब हम मधकर्त्ता का संज्षिप्त जीवनवृत्तांत ( झपने सेप्रह फे झाधार पर ) देने से पहले इतना दी फ देना अलम सम- भते हैं कि इनके संबंध में जितना कुछ लेगोंने लिखाहै उसमें शनेक बाते' भ्रममूलक हैं । पौरों की ते क्या चलाई जाय “मिश्रवंधुविनाद”ः तक में सुदरदासजी फीा “हूसर?” लिखा है शौर उसमें इनके ग्र'थों के नामों को बहुत गडबढ़ कर दिया है। देखे “विनोद? प्रधम भाग पृष्ठ 8१४३--१४५ | फदाचित्‌ “विनेद” फे कर्ताओं को इनके मरय सांगेषपाग संपू नहीं मिले इससे वे उनका न ते! यधाथे खरूपज्ञान ही बता सके और न ठीक पर्याल्ोाचना कर समालेाचना की कसेटी पर लीक लगा सके | शाश्चर्य है कि इतने बड़े महात्मा और फवि फो 'त्ताष” की श्रेणी में रखने हो की उन्होंने बहुत समभा। हम यहाँ इसका कुछ विस्तार न फर इतना ही कहेंगे कि इनका स्थान सूरदास, तुलसीदास प्यार कबीर फे पीछे वेदात श्रौर शांत, रस के उत्कृष्ट कवियों में सर्वोच्च “कहना उचित दै । स॒क्षिप्त जीवनी सुदरदासजी का जन्म विक्रमी संवत्‌ १६४३ में, चैत्र शुक्ल नवमी फो यौसा# नगरी में हुप्मा था। इनके पिता $ चोसा राज्य जयपुर की आमेर से भी पहले की राजभगरी है




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