राखी की लाज (पहला अंक) | Rakhi Ki Laaj (Part 1)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राखी ऊ लाज ং
मेघराज--कारवूसी हूँ या थोपीदार !
ব্নীললা হী कारवतां ६ तीन टोपीदार ।
मेघरान- एम उन्द्म भे “या जो खाली हेयी | चारो दिशाओं में
यार ই दृ् बाले गऐ फरिए | वे नदृक्के भर कर मेरे ऊपर दागे। मेरा
उक नती गन्या | उन सवर न्दरो की गोलिया मेरी चन्द की नाल
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छोमेच्चर- रसने भी दो रद, पदि ये मारे गए तो पकड़ অন্ধ
सेपराज्-( सुस्कर(एर ) मारा नहीं जा सकता । জার बन्दृर्के ।
जियनी दर । पयस?
चोदशा--णहर উ भोत्र, ग्यास लराभृग एक पर्लेद्गकी दूरी पर।
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