राखी की लाज (पहला अंक) | Rakhi Ki Laaj (Part 1)

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Book Image : राखी की लाज (पहला अंक) - Rakhi Ki Laaj (Part 1)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राखी ऊ लाज ং मेघराज--कारवूसी हूँ या थोपीदार ! ব্নীললা হী कारवतां ६ तीन टोपीदार । मेघरान- एम उन्द्म भे “या जो खाली हेयी | चारो दिशाओं में यार ই दृ् बाले गऐ फरिए | वे नदृक्के भर कर मेरे ऊपर दागे। मेरा उक नती गन्या | उन सवर न्दरो की गोलिया मेरी चन्द की नाल 5 अ হজ লী । छोमेच्चर- रसने भी दो रद, पदि ये मारे गए तो पकड़ অন্ধ सेपराज्-( सुस्कर(एर ) मारा नहीं जा सकता । জার बन्दृर्के । जियनी दर । पयस? चोदशा--णहर উ भोत्र, ग्यास लराभृग एक पर्लेद्गकी दूरी पर। एप क्षापा-एप -तलाये १ एप हमारे मास्टर साहब के घर में है, श 1-०) भयेएा सका € | के, অলবান--( লীলা পাক লাঈংন্র से) शाप लार साह । स पर नाव जी जनने पानी मे हैं । [লক हाथ पकडरर ले जाना सा 1 ज ५ 1 ज 1 # जन ॥ 1 সর গর पे ) ५४१२ হা 4 | १५४ 9 = कः की (स्र ररत के जाता ह ) चषि উহ थाई या চর । च वि क কী নি क, कू क ९ रल । +त 1 (पस त्‌ नपर तारया एति) दम # १ 7 = ৮ ~ । भ [ + 1 न ० ~ ८, १२ = ९१4९ রম | २९ - ६1 ={5 य सू লিং সি. हि = দি টু प ভর ৯ পি রি ५ भगत का आर জাত রি ৯. না নস ॥ के % কু ¶ ~^ शत চি] भः ~ স্পা জি সত १ न =-= र নীরা ह म्‌ ५११ + है মং घी १५१ 1 न 1 । ২৮৭ कील माफ ~+ ~) ~~ श्र क ष ५ টি 1 চু তি स्र 2 १ 1१५ ह + र




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