स्वराज्य के पचास वर्ष बाद | Swarajya Ke Pachas Varsh Baad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ मेरा मन.पसन्द पृष्ठ
सोचते जादे श्रौर देखिये कफि जीवन कितना दिलचस्प होता घा
रहा है।
इससे श्रगला फालम देखिये। यह भकानो का कालम है } श्राजफन
मकान ढहों ढूंढ से भी नहीं मिलते, परन्तु इन कालमो में श्रापको हर
तरह फे मकान मिल जाएग । “भरे पास समुद्र के किनारे एक वगते मे
एक श्रलग कमरा है । परन्तु मे शहूर में रहना चाहता हूँ। यदि कोई
सज्जन मुझे शहर में एक श्रच्या-सा फमरा ই सकें तो मे उन्हें समुप्र
फे किनारे फा श्रपना फमरा उसके सामान के साय दे दगा । सामान में
एक सोफा-संद्, दो टेबल-लस्प श्रीर एकं पोतल फा लोटा सम्मि-
लित है ।”
लीजिये, यदि श्राप शहरी जोवन से उकता गए हों तो समुद्र के किनारे
भाकर रहिये । यदि श्राप समत्र फे किनारे रहने से धवराते हो तो शहर
में जाकर रहिये ।
यह दूसरा विज्ञापन देलिये---“किराए के लिये खाली है, नया मकाग,
प्राठ फमरे, दो किचन, स्नन-गृहं श्रौर गेरिज भो है । मकान के ऊपर
छत श्रभो नहीं है, परन्तु प्रगले महीने तक तैयार हो जाएगी । फिराएदार
पुरन्त ध्यान दें ।” श्राप यह विज्ञापन पढ़कर तुरन्त उधर ध्यान देते हूँ
बल्कि फपडे बदलकर चलने का निरचय भी कर लेते हे कि इतने में
` ^ दृष्टि प्रगली पदिति पर पडती है । लिला है--“किराया उचित,
„ एक वषं का पेशगी देना होगा । वार्षिक किराया अठारह हजार
~ 1 प्रर श्राप फिर बैठ जाते हं श्रौर মালা विज्ञापन देखते हे ।
शगले विज्ञापन में लिखा है--“उत्तम भोजन, सुन्दर दृश्य, फर्नीचर
है उुस॒ज्जित खुला फमरा, बिजली पानी मुफ्त 1 सब मिलाकर किराया
३५०) माहवार । ” श्राप हर्षोत्मत्त होकर चिल्ला उठते हैँ--मिल गया,
सुझे एक फमरा मिल गया । कितना सस्ता और श्रच्छा, श्रौर खाना साय
में । वाह, वाह ! श्राय तुरन्त पत्र लिखने को सोचते है, भौर फिर कलेजा
ध्रामकर बैठ जाते है कर्योकि भागे लिखा है--/दिलकश होठल, दाजि-
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