फूल और पत्थर | Phul Aur Patthar

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Phul Aur Patthar by कृष्णचन्द्र - Krishnchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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@ @ ॐ ॐ > ® ॐ. ८ @ ॐ. ॐ ® क अखवारी ज्योतिषी 2 @ ॐ ॐ ॐ > ॐ ॐ जब से हिन्दुस्तानी राजाओं को पेन्शन मिली, राज-ज्योतिषियों और नाचने बालियो का माव मन्दा पड़ गया । इससे पहले नाचने वालियों और विशेषकर राज-ज्योतिषियों की रियासतों में बड़ी पूछु थी। राजा लीग इन्दं सिर-आँखों पर बिठाते थे, और रेशमी चिलमन (परदा) की शरोर से महा- रानिर्योँ इन्दं श्रपने हाथ दिलाती थी- वे नरम ओर नाजुक हाथ जिनकी सुडोल और कोणाकार अँगुलियों पर नीलम, पुखराज, याकूत (माणिक) और लाल बदख्शाँ चमकते ये। एक बार बचपन में मेंने भी अपना हाथ एक राज-ज्योतिषी को दिखाया - था। राज-ज्योतिषी ने मेरा हाथ देखकर হা খা“ बालक बड़ा शानी होगा ।? और मैंने राज-ज्योतिषी की मोटी तोंद, उसकी रेशमी अरचकन और सोने के बटन देखकर सोचा था कि बड़ा होकर यदि में ज्ञानी हुआ तो इस राज-ज्योतिषी की तरह ज्ञान-ध्यान हासिल करूँगा, वरना जीने का कुछ मजा नहीं है । अब में रेलवे में क्लक हूँ ओर मेरा सारा ध्यान-ज्ञान इसी में खन्रे होता हे कि किस तरह पुरानी फालो को हुः महीने तक दबाये रखूँ ओर




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