जवानो, राह यह है | Jawano, Raah Yah Hai

Jawano, Raah Yah Hai by महात्मा भगवानदीन - Mahatma Bhagwandin

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महात्मा भगवानदीन - Mahatma Bhagwandin

Add Infomation AboutMahatma Bhagwandin

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
छ जवानो, राह यह है | ] [ १७ करती है । इससे दरख्त फल न देकर सूखने की बात थोड़े ही तय कर बैठते हैं। तुम भी अपनी तरक्की के रास्ते में आई रुकावर्ों की परवाह ল * करते हुए बढ़ते चले जाओ । यकीन रखो, जल्द वह दिन आयगा जब तुम अपनी पूरी ताकत से उन्हीं का भला करते हुए. देखे जाओगे जो ठुम- को अपना दुश्मन और नुकसान पहुचाने वाला समझते थे। अपनी सरक्की करो, समाज को तरक्ी होगी । जवानो, राह यही है |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now