अब्दुर्रहीम खानखाना | Abdurrahim Khankhana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
467
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ अब्दुरहाम खानखा
मिला. उन्होंने पीरे घीरे खबीफा के राज्य फारस पर प्रथं अधिक
कर लिया और सफरी वश के राज्य-स्थापन के पूर्व तक वे उत देश
शासनारूढ़ बने रहे |
अच्दुर्रद्यीम के पूवेत कराकूयलू वर्ग की बहारलू शाखा के !
जिनमें अमीर अलो शुक्र वेग का नाम विशेष उल्लेखनीय है। उस
फ़ रस राज्य की ओर से जागीर मिक्की हुईं थो भौर जब तक करायूसुः
अर उसके वैशनों का राज्य फारस में रह, तब तक वह वहाँ बब
प्रतिष्ठसे रक्षा! किन्तु कहर मे जक उस देश की राञ्यसुर
छुलतान दसन अकाकूयलू के हाथों में झा गई, जो कराकूयलू :
घर्ग का कहर बिरोबी था, तो अमीर श्ली शुकर वेग के पुः
यीर अज्जी को बाध्य दोऋर फ्रारस छोड़ना पड़ा और बदखझ़्सां 5
शासक छुलतान महमूद के यहाँ शरण लेनी पड़ी । घुलतान ने उः
वर एक नरे जागीर प्रदान की। पीर अली ने फ़ारस वापस जाने ६
कई असकर प्रयक्ष जिये किल्तु बाद में जब सफ़्वी बंशवाल्ों क
राज्य वहाँ स्थापित हो गया तो उसके पृत्र बैरक बेग :
खरेश लौरने का विचार बिलकुल छोड़ दिया भौर बदश्व्ां को हं
अपना नया घर बना लिया |
यही बेरक वेग हसारे चरित्र नायक के पिता सुप्रस्तिद्ध बैरम खाँ के
पितामह था। जिस समय बैरक पेग के पुत्र सैफ खाँ की मजनी)
सृत्यु हुई उस समय बैरम खाँ की अक्सया बहत ही कम थो] धत
उसके भरणश-पोषश का भार उसकी दादी बाशा वेगम ने संभाला
सोलह वषं की धयु भँ वैरम ने मुगल शासक बाबर के यहाँ, जो एव
समय काबुझ का बादशाह था, नौंकरी कर ली और क्रमशः अपन
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