बवंडर- बाहरभीतर | Bavander- Baher Bhitter
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
इनका जन्म 9 अगस्त1937 को हुआ था,ये मॉरीशस के कथा साहित्य सम्राट हैं । मॉरीशस के उत्तर प्रान्त में स्थित त्रियोले गांव इनका जन्मस्थल है, इन्होंने कई वर्षों तक हिंदी अध्यापन का कार्य किया व तीन सालों तक युवा मंत्रालय में नाट्य कला विभाग में नाट्य प्रशिक्षक रहे । इन्होंने अपनी उच्च स्तरीय हिंदी उपन्यासों और कहानियों के द्वारा मॉरीशस को हिंदी साहित्य में मंच पर प्रतिष्ठित किया।
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रहा था, जब गिस्ताव रोवियार दो बदूकधारियो के साथ उसके दरवाजे पर धक्के देकर
भीतर आ गया था। बिसेसर की बीमार पत्नी चारपाई पर थी। बदूकधारियो को देख
वह चिल्ला उठी थी। उससे भी अधिक जोर से गिस्ताव रोवियार चिल्लाया था।
“कहाँ हे वह सुअर का बच्चा 2'
एक बदूक बिसेसर की कनपटी पर और दूसरी बिसेसर की पत्नी की छाती पर
तन गइ थी । इस घटना के सप्ताह भर बाद बिसेसर की पत्नी, रमेसर की माँ अपने
बेटे की हाय-हाय मे चल बसी थी। रमेसर आज तक लौटकर घर नहीं आया। छह
महीने बाद बस्ती मे कानाफूसी होती रही थी।
'मेस्ये गिस्ताव रोवियार की बेटी ने जिस बच्चे को जन्म दिया था, उसे नदी
के हवाले कर दिया गया।'
सवाल और भी धीमी आवाज मे पूछा जाता रहा।
पर एेसा क्यो 2
' क्योकि बच्चे का रग सोवला था ओर उसकी आँखे नीली न होकर काली
थी । बिसेसर का शक्कर कोठी के इलाके मे प्रवेश वर्जित हो गया । उसी घडी से
बिसेसर जब भी चोरी- चुपके अपने दोस्त नोनोन के सामने होता तो वह बातो के
दौरान अनायास विषयातर लाकर कह जाता ।'
“मेरा रमेसर अगली पूर्णमासी तक घर लोटकर रहेगा ।'
लोनोम नोनोन रमेसर को हमेशा आगाह करता रहा था कि वह छोटे मालिक
कौ कोठीवाले इलाके से अपने को हमेशा दूर रखे । नोनोन का बाप इस द्वीप मे अपने
दो बेटो के साथ दास के रूप मे लाया गया था। दासो को फेहरिस्त मे नोनोन का नाम
गाब्रियेल जोजे तानानारीव था। उस समय नोनोन अपना उन्नीस्वों साल पूरा कर चुका
था। जब दास-प्रथा का अत हुआ तो नोनोन पच्चीस साल का था। सुनतारहा थाकि
अब उसके लोगो को चाबुको की मार नही सहनी पडेगी । उन्हे कोल्हू के बैल बनने
की नौबत अब फिर नही आएगी । लेकिन वक्त के साथ नोनोन को लगा किं दास-
प्रथा का अत बद कमरे मे कागज पर हुआ था। वह जिस शक्कर कोटी मे मजदूर था,
वहां दासता नही मिटी थी। न उसके साथ ओर न ही भारत से लाए गए मिरमिरिया
मजदूरा के साथ। उन्ही दिनो के यातना शिविरो मे से एक मे उसकी मुलाकात
बिसेसर से हइ थी । दोनो एक दिन अपने गोरे मालिक के हाथ से कोडा छीनकर
उसके सामने तनकर खड हो गए थे । सभी मजदूर सहमे हुए दूर खडे रह गए थे ओर
देखते-ही-देखते गोरे मालिक के चार सरदार दोनो पर बदूके लिये झपट पडे थे।
नोनोन ने चट अपने से छह साल छोटे विसेसर का हाथ थामा था ओर पहाड की ओर
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