अंतराल | Antraal

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अंतराल  - Antraal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नरेन्द्र कोहली - Narendra kohli

Add Infomation AboutNarendra kohli

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सुभद्रा के प्रश्न ने सबको जैसे अवाक्‌ कर दिया धा। किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया। अपेक्षापूर्ण नेत्रों से सब एक-दूसरे को देख रही थीं; और मन-ही-मन यह टटोल भी रही थीं कि क्या सत्य ही इन तेरह वर्षों में अपने पतियों के साथ रहना संभव नहीं होगा द्रौपदी को, विदा होने से पहले, हस्तिनापुर में विदुर काका के घर में कही गई, कुंती की बातें स्मरण हो आईं |“हाँ | उस समय वहाँ न सुभद्रा उपस्थित थी, न बलंधरा, न देंविका, न करेणुमती“माँ ने कितना सत्य कहा था, जिनका धर्म था, अपने पतियों के साथ वन में रहना, वे रहें“यहाँ तो अभी ये सोच ही रही हैं कि धर्मराज उन्हें वन में रहने की अनुमति देंगे, अथवा नहीं !“धर्मराज - नहीं चाहेंगे, तो ये अपने पतियों के साथ नहीं रहेंगी ?“ “साथ नहीं रखेंगे, तो कहाँ छोड़ेंगे हमें ?” द्रौपदी कुछ प्रखर रूप में बोली, “हमारे लिए कोई और हस्तिनापुर खोज रखा है क्‍या ?” युधिष्ठिर ओर भीम, उसी ओर आ रहे थे । द्रौपदी ने देखा : अर्जुन, नकुल ओर सहदेव भी उनके पीछे-पीछे ही आ रहे थे। निकट आकर युधिष्ठिर चुपचाप वट-वृक्ष के नीचे बैठ गए। वे किसी चिंता में लीन थे, या फिर सारे भाइयों के आ जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे। चारों भाई उनके निकट आ गए, तो युधिष्ठिर ने पूछा, “क्या विचार है भीम ?” भीम निर्दद्ध भाव से हँसा। ऐसा नहीं लग रहा था कि उनका राज्य छिन गया है; और वे राज्य से निष्कासित होने के कारण वन में आए हैं। भीम तो जैसे किसी अभियान का नेतृत्व कर रहा था। वन में वह तनिक भी असहज नहीं धा। उसकी स्वाभाविक मस्ती लौट आई थी और वह अपने इस निष्कासन को ही नहीं, उसके कारण को भी जैसे भुला बैठा था। “मुझे तो लग रहा है कि हम एक नए राज्य की स्थापना करने जा रहे हैं।” भीम ने कहा। किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया, किंतु सबकी आँखें उसकी ओर उठ गईं। “यह स्थिति तनिक भी वैसी नहीं है, जैसी वारणावत के लाक्षागृह से निकलने के पश्चात्‌ हमारी थी |” भीम बोला, “इस समय हम पाँचों हैं, हमारा परिवार है। सारथि रहै, कुष सेवक हैं। अधिक नहीं तो थोड़े बहुत रथ और अश्व हैं, शस्त्रास्त्र हैं। प्रजा-जन हैं ।” वह पुनः हँसा, “नहीं हैं, तो वस सैनिक नहीं हैं। पर हम प्रयत्न करें, तो सैनिकों का भी अभाव नहीं रहेगा।” “सैनिक तो आ जाएँगे मध्यम ! किंतु उनका वेतन कहाँ से दिया जाएगा ?” सहदेव ने मंद स्वर मेँ पूछा। “नहीं भीम ! नहीं । युधिष्ठिर ने भीम कोन प्रश्न का उत्तर देने दिया, अंतराल / 21




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now