अष्टछाप और वल्लभ-सम्प्रदाय | Ashtchaap Aur Vallabh- Sampraday

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Ashtchaap Aur Vallabh- Sampraday by दीनदयालु गुप्त - Dindayalu Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची भाग (१) प्रथम अध्याय पृष्ठ भूमि ( १--८०) अष्टछाप का परिचय पष्ठ १ अष्टछाप काव्य कौ जष्मस्यलो ब्रजभूमि ब्रज का भौगोलिक विस्तार; उसके वन , पर्वत तथा, प्राकृतिक शोभा--२, अष्टछाप से सम्बन्धित ब्रज के कुछ स्थान-८, मथुरा-९, वृन्दावन-१ १, गोपालपुर- ११, जमुनावती, परसौली-१, पूछरी-१२, जतीपुरा, गॉठोथोली और टोड का घना, महावन-१३, गोकुल-१४ अष्टछाप काव्य की पृष्ठभूमि अष्टछाप के समक्ष हिंदी के साहित्य रूप मे आई हुई काव्य-परम्परा, साहित्यिक परिस्थिति-१६, वीरगाथा काव्य, सन्त काव्य,-१७, ढोहा-चौपाई मे लिखा हुआ सूफी प्रेम-काव्य-१९, रामकाव्य परम्परा-२३, अष्टछाप से पहले हिंदी मे क्ृष्ण-भक्ति- काव्य की परम्परा-२४, अप्टछाप से पहले प्रकीर्णक काव्य की परम्परा-२६, अष्टछाप के समय दिल्ली की राजशक्ति और देश की राजनीतिक तथा सामाजिक व्यवस्था-२७, अकवर के राजत्वकाल मे देश की राजनैतिक व्यवस्था-३ १, अप्टछाप के समय मे सामाजिक दशा-३ ३, अष्टछाप के समय में देश की घामिक दशा-३४, उत्तरी भारत मेँ वैष्णव घमं का पुनरुत्थान तथा १६वीं शताब्दी मे ब्रज मे मक्ति का प्रचार-३९, वेष्णव भक्ति ३७ विष्णुस्वामी सम्प्रदाय निम्बार्क सम्प्रदाय समत-४३, ब्र॒ह्म-४४, जीव-४५, वद्धजीव, मुक्ति तथा मुक्त जीव---४६, नित्य सिद्ध जीव, प्राकृत अप्राकृत, काल-४७, मुक्ति-लाभ का सावन-४८ ३ २ १६ ४१ ४१




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