रोटी का सवाल | Roti Ka Sawal

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : रोटी का सवाल  - Roti Ka Sawal

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

गोपीकृष्ण विजयवर्गीय - Gopikrishn Vijayvargiya

No Information available about गोपीकृष्ण विजयवर्गीय - Gopikrishn Vijayvargiya

Add Infomation AboutGopikrishn Vijayvargiya

पं. कालिकाप्रसाद - Pt. Kalikaprasad

No Information available about पं. कालिकाप्रसाद - Pt. Kalikaprasad

Add Infomation About. Pt. Kalikaprasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हमारा धन ५६ ` जैते हैं। कोयलेकी सुब्यवस्थित खानोंमें सौ लनिकोंकी मेहनतसे हर साल इतना कोयला निकल आता है कि दस हजार कुटम्बोंकी सरदीके दिलीँमे कापी गरमी मिल सके | हाल में ही एक अद्भुत दृश्य देखनेमें आने জালা है। वह यह कि अन्तर्राष्ट्रीय प्रदशनियोंके अवसरपर कुछ मासमें ही शहरके शद्दर बस जाते हैं। उनसे राष्ट्रोके नियमित कार्यमें जरा-ती भी बाघ नहीं पड़ती । भले ही उद्योग-घन्धों यां कृषिभे--नहीं-नहीं, हमारी सारी सामाजिक ज्यवस्थामें--हमारे पूर्वजोके परिश्रम और आविष्कारोंका लाभ मुख्यतः मुद्दीभर लोगोंको ही मिलता हो, फिर भी यह बात निर्विवाद है कि फौलाद आर लोहेके उपलब्ध प्राणियोंकी मददसे श्राज भी इतनी सामग्री उत्पन्न की जा सकती है कि हर एक आदमीके लिए सुख और सम्पन्नताका जीवन सम्मव हो जाय | वस्तुतः हम समृद्ध हो गये हैं। हमारी सम्पत्ति, हम जितनी समभतते हैं, उससे कही ज्यादा है। जितनी सम्पत्ति हमारे अधिकारमें आ चुकी है वह भी कम नहीं है। उससे बड़ा वह धन है जो हम मशीनोौं-द्वारा पैदा कर सकते हैं। हमारा सबसे बड़ा घन वह हैं जो इम अपनी भूमिसे विज्ञान-द्वारा और कला-कौशलके ज्ञान से उपार्जन कर सकते हैं, बशर्तें कि इन सब साधनोंका उपयोग सत्रके सुज़के लिए किया जाय । মু हमारा सभ्य समाज धनवान है। फिर अधिकांश लोग गरीब क्यों हैं! साधारण जनतांके लिए यह अत्रद्म पिसाई क्यों है ! जब इसारे चार्रो ओर पूव॑ंजोकी कमाई हुईं सम्पत्तिके ढेर लगे हुए हैं और जब उत्पत्ति के इतने जबरदस्त साधन मौजूद हैं कि कुछ घण्टे रोज मेहनत करनेसे ही सबको निश्चित रूपसे सुब-सुविधा प्रात्त हो सकती है, तो फिर अच्छी-से-अच्छी मजदूरी पाने वाले श्रमणीवी को भी कलकी चिन्ता क्यौ अनी रहती है १




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now