दो श्रेष्ठ उपन्यास | Do Shreshth Upnayas

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Do Shreshth Upnayas by यादवेन्द्र शर्मा ' चन्द्र ' - Yadvendra Sharma 'Chandra'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दो श्रेष्ठ उप-याम्‌ अतीत षाए वह्‌ टुकटा किरच क्रिच होकर बिखर गया। वह पुत वस्तुम्थिति में मो गया ३ उमे भदे हठो पर एक रहस्य भरौ मुस्कान चिपकी हुई थी। क्या वाति है 1) आप खाना कड सा्येगे ?' “दोडी दर बाद । নম ঘাহী মই हुए सतादे को रौंटती हुई चली गमी। पदचाप के खत्म होते ही वही गहरा सनाटा 'पूतना वी तरह पसर गया । वह सोचने लगा 1 'कितनी विचित्र प्रथा है । एबलम आदिम एड”म पुहड 7 ভিপি পি । उमका मत अग्चि से भर गया। ग्लानिके भाव उसके नमम हलव फ्पोत थी सरह उभर आए 1 कपी फाटे उसदे' चुभ गए हा -- एंसा उस महसूस #आ। जेता एक साधारण मीणा था जो अपने अदम्य साहस, रण दुश- सता नौर अपूव शोय व बल पर वह आज बूदी का स्वामी हो गया श१७ब् नगर वा नगरपति ? वह हर पस्त अहुसूस घरता था कि यह बडा आदमी हो गपा है । हाडा व चौहानों की तरह चडा | गौरवशाली | दस्सतदार 1 उसने अपने आर सामाय मीणा जाति ये मध्य एवं दरार पदा बर सी थी। वह लपन षो ^ न मयस असग बौर छुद्ध रकावर्णी समझने सगा 13 न




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