तुलसी की वंदना | Tulsi Ki Vandana
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
658.31 MB
कुल पष्ठ :
513
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राम काव्य वंदना परंपरा - संस्कृत काव्य का प्रारँभ रामायण सै होता है 1 वा
न. टन रामायण राम काव्य परंपरा का आदि ग्ँथ है 1 पृ तत
काव्य में थि
उ राम काव्य है
रामायण मैं प्रारंभ मेँ कोई स्तृत्ति नहीं
कि इंत तमय इस लोक मैँ गुणी:
और टूढ़ प्रतिज्ञा व्याति कौन है 101
: स्वाध्यायनिरत तःपस्वी वा्विदाँ वरभ
नारद परिप्रच्छ वाल्मीकि पुड गवम 11
कोन्वस्मिन सापते लौोकेगणवान् काय वीर्यवान
धर्पशश्य कृत्तक्षेच सत्पवाफ्यो टुदूबत: 1। वा. बालकाण्ड 1, 2
पउभघरियँ : आचार्य चिमल सर्कित 8 कवि के अनसार सन् 0060 की रचना 1
सँ0-डा0 हर्मन पाकुत यँध परिषद पण्सीन5ठ 1962 ह
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सर-किन्नरोरण-दणवट्ठ -भवशणिन्टवन्दपा शिमहिय
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अभिनन्दर्ण च पुमई पठ्मॉभ , पउम सच्छायँ 11 2 11
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मय कसा यमह्ण , अरँ । जय हि. महाभाणं ।। ५ |
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अर्व्त | ॥. अवसर्पिण काल के दो मय लिभाग 8 काल मैं हो पे
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को -कषायाँ पर चिजप हि प्त करेंने वाले अजित
धारण नहीँ करने वाले संभव नाश
के समाम पर काफ्न्त वाले पट्पपभ कौ पैक मैं उत्तम
[शतर शा ममदन्त सु को- मुनियों मैं इन्द्र
पर लिमल एवं अनन्त की - धर्म के आश्रपरम ध्ँ कौो-रागा
आन्तरिक शरनओं के उपर 'चिजय प्राप्त करने वाले शािन्त .. कौ -कबायनाश करने वाले कन्थ
की शा की जीतने वाले तथा हा ऐपचर्य 2 न पनन अरफी- जन्ममरण के प्रवाह का नॉश
रने ताले मड्लिको-सवतधा री: कि देवों राम की दा. जनके शास
घटी ऐसे _ ते नाण की बड़ी
देनी
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